– बढ़ेगी इंटरनेशनल फ्लाइट :
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को डायमंड बुर्स के साथ सूरत एयरपोर्ट SURAT AIRPORT पर बने नए टर्मिनल बिल्डिंग का भी उद्घाटन किया। इससे ठीक पहले शुक्रवार शाम को कैबिनेट ने सूरत एयरपोर्ट को इंटरनेशनल एयरपोर्ट का दर्जा दे दिया। रविवार को प्रधानमंत्री की ओर से नए टर्मिनल का उद्घाटन करने के साथ ही यहां से दुबई के लिए पहली इंटरनेशनल फ्लाइट उड़ान भरेगी। इस फ्लाइट की घोषणा होते ही मात्र दो दिन में सारी सीटें फुल हो गई है। यात्रियों की इस रुचि को देखते हुए आने वाले दिनों में सूरत एयरपोर्ट पर अन्य कई इंटरनेशनल फ्लाइट उड़ान भरती नजर आएगी। पुराना टर्मिनल भवन 250 यात्रियों की क्षमता वाला है, नए टर्मिनल की क्षमता 1800 से अधिक यात्रियों की बताई जा रही है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सूरत इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर यात्रियों के आने-जाने की संख्या में बढ़ोतरी होगी। हाल सूरत एयरपोर्ट पर प्रतिमाह औसतन एक लाख यात्री की आवाजाही है।
– 1930 में रखी गई थी सूरत एयरपोर्ट की नींव :
भारत का अस्तित्व में आने से पहले के एयरपोर्ट में से एक सूरत एयरपोर्ट SURAT AIRPORT है। सूरत एयरपोर्ट का इतिहास 93 साल पुराना है। साल 1930 में इसकी नींव रखी गई थी। तब सचिन के नवाब सीद्दी मोहम्मद हैदर खान ने इसके लिए महत्व का योगदान दिया था। 1932 में सूरत एयर स्ट्रिप की मुंबई के जुहू स्थित एयर स्ट्रिप के साथ कनेक्टिविटी की गई। बाद में इसे जूनागढ़ के साथ जोड़ा गया। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान सूरत एयरपोर्ट की एयर स्ट्रिप ने काम आई थी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1940 में मुंबई के गवर्नर रोजर लुम्ली ने भारतीय वायुसेना की बॉम्ब स्क्वॉड बनाने के लिए बोम्बे वोर गिफ्ट फंड का उद्घाटन किया था। तब सचिन के नवाब में अपना एयरक्राफ्ट दान किया था। 1964 में फ्लाइंग क्लब सूरत चेप्टर की शुरुआत की गई थी। 1968 में आए भूकंप के चलते सूरत देश से अलग हो गया था। तब हवाई सेवा का महत्व समझ में आया था। 1970 में गुजरात फ्लाइंग क्लब की ओर से यहां युवाओं को पायलट का प्रशिक्षण देने के लिए मंजूरी मिली थी। तब पायलट देवेन्द्र शास्त्री पहले मार्गदर्शक थे। 1972 में सूरत एयर स्ट्रिप पर पहली फ्लाइट आई थी। 1972 में 330 फीट यानि के 1 हजार मीटर रन वे के लिए सूरत एयर पोर्ट को जगह दी गई थी।