इस काम में किसान जिगर के पिता गिरीश भाई ने भी मदद की। गिरीश के मार्गदर्शन में तीन बीघा खेत में किसान जीगर ने ड्रैगन फ्रूट के 300 हजार पौध (नर्सरी) लगाकर नई खेती की वर्ष 2015 में शुरुआत की। इस दौरान गांव के अन्य किसानों ने जिगर और उनके पिता की मजाक (हंसी) भी उड़ाते थे। इसके बावजूद भी उन्होंने ड्रैगन फल की खेती से मुंह नहीं मोड़ा। आखिरकार पिता-पुत्र ने तीन बीघा भूमि में 751 सीमेंट (आरसीसी) के खंभे लगवाए। उन्होंने सूरत के भराडिया गांव की नर्सरी से ड्रैगन फल की 3000 हजार वेल मंगवाई और प्रति खंभे चार ड्रैगन फ्रूट के पौधे की बुवाई की।
मानसून में फसल होती है तैयार मानसून में ड्रैगन फल तैयार होता है। एक बार बुवाई के बाद 25 साल तक उत्पादन मिल सकता है। मानसून के चार माह में प्रत्येक 40 दिनों के अंतराल में फल पकते हैं। तीन बीघा भूमि में पहले चरण में डेढ टन से अधिक फ्रूट निकलते है। एक फ्रूट का वजन औसतन 100 से 300 ग्राम तक होता है। प्रति किलो 200 से ४00 रुपए का भाव मिलते हैं।
सूरत के भराडिया गांव की नर्सरी से मंगवाए ड्रैगन फ्रूट के पौधे किसान जिगर ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की पौध (नर्सरी) सूरत जिले की मांडवी तहसील के भराडिया गांव स्थित नर्सरी से मंगाई थी। खेत में आरसीसी पोल को 2 गुणा 2 व्यास वाले गड्ढों में खाद और कीटनाशक दवा डालकर गाड़ा गया। पोल से पोल की दूरी 10 फीट है। तीन बीघा में 3000 पौधे पोल से सटाकर रोपित किए गए। पूरे खेत में ड्रिप पद्धति से सिंचाई की की जाती है।
ड्रैगन फ्रूट सेहत के लिए फायदेमंद विशेषज्ञों के अनुसार गुलाबी रंग का स्वादिष्ट फल ड्रैगन फ्रूट सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसमें काफी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट के गुण मौजूद होते हैं। इसके अलावा विटामिन सी, प्रोटीन और कैल्शियम भी भरपूर मात्रा में होता है। इस फल का प्रयोग कई बीमारियों में लाभदायक माना गया है।