पत्रिका : मौजूदा शिक्षा व्यवस्था पर आप का क्या मानना है और किस तरह के बदलाव की जरूरत है?
मेहता : मौजूदा शिक्षण व्यवस्था में कौशल प्रशिक्षण को भुला दिया गया है। विद्यार्थियों के शारीरिक-मानसिक विकास और छिपी प्रतिभा को बाहर लाने के लिए कौशल शिक्षा जरूरी है। गणित, विज्ञान के विषयों की तरह इन्हें भी महत्व देने की जरूरत है।
पत्रिका : शिक्षा के निजीकरण के आरोप लगते रहे हैं। आप का क्या कहना है?
मेहता : समय के साथ शिक्षा क्षेत्र में भी परिवर्तन आया है। सेवा का यह क्षेत्र व्यवसाय बन गया है। इसे रोकने के लिए अधिक से अधिक सरकारी स्कूल और महाविद्यालय खोले जाने चाहिए।
पत्रिका : महंगी शिक्षा का समाज पर किस तरह का प्रभाव आप देख रहे हैं? मेहता: प्राथमिक शिक्षा निशुल्क देने की जिम्मेदारी सरकार की है, लेकिन आज सरकारी स्कूल बंद हो रहे हैं। विज्ञान संकाय और उसके बाद के विद्यार्थी प्राइवेट कोचिंग लेने को मजबूर हैं। मध्यमवर्ग और गरीब परिवारों के विद्यार्थी महंगी फीस झेल नहीं पाते और प्रतिभा होते हुए भी योग्य शिक्षा हासिल नहीं कर पाते। जेईई, नीट और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए सरकार को सेंटर खोलने चाहिए।
पत्रिका : नई शिक्षा नीति से क्या बदलाव देख रहे हैं? मेहता: नई शिक्षा नीति में स्कूलों में ही आंगनबाड़ी होगी, बच्चा 6 वर्ष की आयु में पहली कक्षा में प्रवेश लेगा। पहले दो साल आंगनबाड़ी में पढ़ाई से बच्चे की नींव मजबूत होगी। कक्षा 3 से 5 तक पठन और गणन पर जोर दिया जाएगा। माध्यमिक शिक्षा स्तर पर ही व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। विद्यार्थी अपनी रुचि के अनुसार विषयों का चयन कर सकेंगे, जिससे विद्यार्थियों का तनाव दूर होगा।