दानह में फैक्ट्रियां , गुजरात में फंसे मजदूर
प्रशासन ने लॉकडाउन 02 के दौरान 1386 उद्योग, फैक्ट्रियों के संचालन की अनुमति, दादरा की इकाइयों में काम करने वाले श्रमिक गुजरात के सीमांत डुंगरा, चणोद, करमखल आदि गांवों में रह रहे हैं
दानह में फैक्ट्रियां , गुजरात में फंसे मजदूर
सिलवासा. प्रशासन ने लॉकडाउन 02 के दौरान 1386 उद्योग, फैक्ट्रियों के संचालन की अनुमति दे दी है। कंपनियां आरम्भ होते ही श्रमिकों की कमी भी महसूस होने लगी है। उद्योग मालिक कर्मचारी व श्रमिकों को वापस बुला रहे हैं। श्रमिकों की कमी से कई उद्योगपति फैक्ट्रियां चलाने के मूड में नहीं है।
25 मार्च को लॉकडाउन के बाद उद्योगों में कार्यरत श्रमिक संघ प्रदेश दानह से चले गए। पिपरिया, आमली, डोकमर्डी की फैक्ट्रियों में काम करने वाले हजारों श्रमिक गुजरात के सीमावर्ती लवाछा में रहते हैं। यहां किराए के कमरे सस्ते हैं। इसी तरह दादरा की इकाइयों में काम करने वाले श्रमिक गुजरात के सीमांत डुंगरा, चणोद, करमखल आदि गांवों में रह रहे हैं। मसाट, रखोली, सायली के उद्योगों में कार्य करने श्रमिकों की बड़ी तादाद गुजरात के मेघवाड़ गांव में हैं। कोरोना वायरस से बचाव के लिए स्टेट बॉर्डर पर श्रमिकों को उनके घरों से फैक्ट्रियों तक आने से रोका जा रहा है। लॉकडाउन से संघ प्रदेश दानह के सीमावर्ती बसे गुजरात के गांवों की हालत नाजुक हो गई हैं। मसाट हद पर बसे मेघवाड़ के लोगों का घरों से निकलना दूभर हो गया है। सरहद पर बसे होने के कारण पुलिस इन्हें बॉर्डर पर रोक देती हैं। मेघवाड़ गांव दादरा नगर हवेली के बीच बसा हुआ हैं। इस गांव के लोगों का संबंध सिर्फ दादरा नगर हवेली से हैं। लवाछा पिपरिया व दादरा के बीच बसा छोटा सा गांव हैं, जहां के लोग पिपरिया व दादरा की इंडस्ट्रियों में काम करके अपना गुजारा करते हैं। लॉकडाउन से यहां के लोगों को बॉर्डर पर रोक दिया जाता है। इन गांवों में बाजार व बड़ी दुकानों का अभाव है। दानह प्रशासन ने औद्योगिक इकाइयों के संचालन को मंजूरी दी हैं, मगर सीमावर्ती गांवों के युवाओं और मजदूरों को बॉर्डर पार करने की अनुमति नहीं दी गई है। इसके चलते श्रमिक और उद्योगपति दोनों ही परेशान हैं। मेघवाड़ के पूर्व सरपंच रघुभाई पटेल ने बताया कि मेघवाड़ को दानह में शामिल करने के लिए कपराड़ा, वलसाड जिला कलक्टर को कई बार अवगत कराया जा चुका है। मेघवाड़ से कपराड़ा 50 किमी दूर हैं। मेघवाड़ को दादरा नगर हवेली में सम्मिलित करने से सभी समस्याएं हल हो सकती हैं। संघ प्रदेश प्रशासन में शामिल होने से गांव में रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन एवं प्रशासनिक समस्याएं नहीं रहेंगी।
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