भौतिक इच्छाएं भी होती हैं तो कई आध्यात्मिक, धार्मिक अथवा अलौकिक इच्छाएं भी होती है। छह प्रकार की लेश्याओं के कारण भावधारा में परिवर्तन होता है तो उसके अनुसार इच्छाएं भी परिवर्तित होती हैं। दूसरों के प्रति हिंसा, हत्या, घृणा, ईष्या आदि की भावना निम्न कोटि की इच्छा, किसी का कल्याण करने, दूसरों के दु:खों को दूर करने की इच्छा उच्च कोटि की इच्छा होती है।
इच्छाएं आकाश के समान अनंत होती हैं। सांसारिक मनुष्य को यदि सोने-चांदी के पहाड़ भी प्राप्त हो जाएं तो उसके भीतर और अधिक पाने की इच्छा प्रबल हो सकती है। जिस प्रकार आकाश का कोई अंत नहीं होता, उसी प्रकार इच्छाएं भी अनंत होती हैं। इच्छाओं का कोई अंत नहीं है। इच्छाएं ही दु:ख का कारण भी बनती हैं।
आदमी की हर इच्छा पूरी न हो तो आदमी दु:खी और व्यथित हो जाता है। गृहस्थ के लिए पांचवा अणुव्रत बताया गया है, इच्छा परिमाण व्रत है। इसी प्रकार भोगोपभोग परिमाण संकल्प के माध्यम से भी इच्छाओं पर अंकुश लगाया जा सकता हैं। इच्छाओं का सीमाकरण हो जाए तो आदमी अनावश्यक तनाव, चिंता आदि से मुक्त हो सकता है। भोगोपभोग परिमाण के द्वारा भोग पर संयम हो जाए तो आत्मा निर्मल बन सकती है।
जीतो व जेटीएफ के चेयरमेन्स ने आशीर्वाद लिया सिटीलाइट में चतुर्मास करने वाले मुनि उदितकुमार ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। आचार्यश्री के दर्शन के लिए पहुंचे जीतो के चेयरमेन सुखलाल नाहर व जेटीएफ चेयरमेन विनोद दुगड्ड आशीर्वाद प्राप्त किया। सिटीलाइट तेरापंथ भवन के सह मैनेजिंग ट्रस्टी अनिल बोथरा ने अभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। तेरापंथ कन्या मण्डल की कन्याओं ने गीत का संगान किया।
आचार्य का 50 वां दीक्षा महोत्सव आज आचार्यश्री महाश्रमण का 50वां दीक्षा महोत्सव गुरुवार को भगवान महावीर युनिवर्सिटी में आयोजित किया जाएगा। पूरे तेरापंथ धर्मसंघ में आचार्य की दीक्षा के पचास वर्ष की सम्पन्नता को लेकर विशेष उत्साह नजर आ रहा हैं। इस आयोजन में देश-भर से हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं पहुंचेंगे। आचार्य गुरुवार को प्रात: सिटीलाइट से विहार करेंगे।
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