इनर और मिडिल रिंगरोड के बाद आउटर रिंगरोड का सपना भी जल्द पूरा हो जाएगा। 66 किलोमीटर लंबे आउटर रिंगरोड को मनपा प्रशासन हाई डेंसिटी कॉरिडोर के रूप में विकसित करने जा रहा है। 2669 हैक्टेअर क्षेत्र के प्रोजेक्ट के लिए 11 टीपी बनाई गई हैं, जिनमें आठ सूडा और तीन मनपा ने तैयार की हैं। प्रस्तावित आउटर रिंगरोड के 39 किमी पर कच्चा रास्ता है, जिसे दोबारा बनाया जाएगा और 27 किमी लंबा रास्ता नया बनाया जाना है। सूडा के इस हिस्से के लिए गांधीनगर में हुई बैठक में मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने मंजूरी दे दी। जल्द ही टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
सेल्फ फाइनेंस मॉडल पर पहला प्रोजेक्ट तत्कालीन मनपा आयुक्त एम.के. दास ने आउटर रिंगरोड प्रोजेक्ट पर पहली बार कवायद शुरू की थी। सेल्फ फाइनेंस मॉडल पर आधारित आउटर रिंगरोड देशभर में अकेला प्रोजेक्ट था। बिना सरकारी मदद लिए इस तरह का प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए मनपा की देशभर में चर्चा हुई थी और केंद्र सरकार ने अन्य प्रदेशों को इस मॉडल को समझने की सलाह दी थी। दास ने प्रोजेक्ट की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए बिल्डरों को चार एफएसआई की मंजूरी का प्रावधान किया था। अतिरिक्त एफएसआई की आय से ही प्रोजेक्ट को पूरा किया जाएगा।
यह है प्रोजेक्ट 66 किमी लंबे आउटर रिंगरोड की चौड़ाई 90 मीटर होगी। सड़क के दोनों ओर पांच सौ मीटर के करीब जमीन आरक्षित कर टीपी स्कीम बनाई गई है। पहले चरण में 27 किमी लंबे रूट पर काम शुरू हो रहा है। शेष 39 किमी लंबा रास्ता राष्ट्रीय राजमार्ग का हिस्सा है, जिसे चौड़ा करने का काम किया जाएगा। 27 किमी लंबे आउटर रिंगरोड पर 43 गांव प्रभावित हो रहे हैं, जिनमें 16 गांव मनपा और 27 गांव सूडा क्षेत्र के हैं।