ग्रामीणों की शिकायतों को सीएम ने काफी गम्भीरता से लिया और मौके पर ही मौजूद अधिकारियों को इस पर ध्यान देने को कहा था। लेकिन दूसरे दिन इस दौरे के बाद मुख्यमंत्री (CM) ने जब अधिकारियों की बैठक ली तो इस मामले में उन्होंने बेहद तल्ख अंदाज में शिक्षा विभाग की खिंचाई करते हुए कहा था कि यह कितना दुर्भाग्यपूर्ण है कि बिहारपुर क्षेत्र में एवजीदार पढा रहे है।
मुख्यमंत्री ने दो टूक शब्दों में शिक्षा विभाग से कह दिया था कि ऐसे शिक्षकों को तत्काल बदल दे। सीएम के इस निर्देश को लगभग दो माह होने को हंै पर शिक्षा विभाग पर कोई असर नहीं पड़ा। यही वजह है कि अब तक बिहारपुर के एक भी शिक्षक को न तो बदला गया है और न किसी पर कार्रवाई हुई है।
ऐसे में बिहारपुर के लोग यह कहने से नही चूक रहे हंै कि यहां पदस्थ शिक्षक बेहद पावरफुल हंै। जब सीएम से शिकायत के बाद भी उनका बाल बांका नही हो सकता तो फिर किससे उम्मीद करें।
पनीर, चिकन और मटन से भी महंगी बिक रही प्रोटीन से भरपूर ये सब्जी, बढ़ाती है इम्यूनिटी
ग्रामीणों में मन में उठ रहे ये सवालग्रामीणों के मन मे यह सवाल तब और उठ रहा है, जब सीएम के भेंट मुलाकात कार्यक्रम में अब तक सबसे ज्यादा कार्रवाई सूरजपुर जिले में ही हुई है। जहां जिला पंचायत सीईओ से लेकर डीएफओ, रेंजर, डॉक्टर सहित कई अन्य पर गाज गिरी है। पर शिक्षा विभाग पर सीएम के निर्देश का कोई असर नहीं है।
बिहारपुर क्षेत्र में वर्षों से शिक्षा का बुरा हाल है। यहां वर्षों से कई ऐसे शिक्षक जमे हंै जो स्कूल कभी नही जाते बल्कि वे खुद अम्बिकापुर व सूरजपुर आदि में रह कर नौकरी कर रहे हैं। यहां तक कई स्कूल तो ऐसे है जो खास मौकों पर ही खुलते हैं जैसे 15 अगस्त, 26 जनवरी।
सड़क दुर्घटना में भाजयुमो नेता की मौत, नर्स की बद्सलूकी पर अस्पताल में हंगामा, एनएच पर चक्काजाम
विभाग में इस तरह का खेलमुख्यमंत्री के आदेश (CM order) के बाद तबादले के नाम पर जमकर खेला हो रहा है। जहां एक भी शिक्षक नहीं वहां कोई पदस्थापना नही, जबकि जहां अतिशेष शिक्षक हैं, वहां फिर भेजे जा रहे हंै। यानी ऐसे स्कूल सड़क से लगे हुए हंै, यहां जाने के रेट तय हंै। कहीं-कहीं तो हालत यह है कि औसत बच्चे कम हैं, शिक्षक ज्यादा।
सूत्र बताते हैं कि इन स्कूलों में तबादले (Teachers transfer) के नाम पर बिचौलिए सक्रिय है। जो सड़क से लगे स्कूल में हैं, उन्हें गांव व दूरस्थ अंचल में भेज देने का खौफ है तो जो दूरस्थ में है, उन्हें इन सड़क से लगे स्कूलों में आना है। ओडग़ी ब्लॉक के लुल्ह, भुंडा, बैजनपाठ व खोहिर में एक शिक्षक है, जबकि भुंडा के एक पारा में तो एक भी शिक्षक नही है। ऐसा हाल जिले के कई अन्य गांव के स्कूलों का भी है।