सुलतानपुर (Sultanpur) शहर के पास करीब 5 श्मशान घाट हैं। इनमें हथियानाला,करौंदिया, बभंगनवा, मधुवन और नानेमऊ घाट हैं। इन घाटों पर रोजाना करीब 10 से 15 शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। यहां डोम ने अंतिम क्रियाकर्म महंगा कर दिया है।
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ढाई गुना तक महंगे हो गये अर्थी के बांस
शवों को लाने के लिए अर्थी में लगने वाले बांस भी अब दोगुना तक मंहगे हो गए हैं। पहले अर्थी बनाने के लिए लगने वाले बांस 400 सौ रुपये में मिल जाते थे, लेकिन अब वही बांस करीब 1000 रुपए में मिल रहे हैं। ऐसे ही अर्थी में लगने वाली और सामग्रियां भी दोगुने से ज्यादा महंगी हो गई हैं। हालांकि, बाजारों में अंतिम क्रियाकर्म में प्रयोग में आने वाले सामानों के दाम नहीं बढ़े हैं, लेकिन श्मशान घाट के आसपास की दुकानों पर सामानों के दाम दोगुने तक बढ़ गये हैं।
आम दिनों में शवों के अंतिम संस्कार में लगने वाली सामग्री करीब तीन हजार रुपए में मिल जाती थी, लेकिन अब उसी सामग्री के बदले 5 हजार रुपए तक चुकाने पड़ रहे हैं।
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शव विमान भी हुआ मंहगा
शुक्रवार को Sultanpur भदैया ब्लॉक के लोदीपुर गांव निवासी रमाशंकर शुक्ल के 30 वर्षीय पुत्र बृजेश कुमार शुक्ल की कोरोना के कारण मौत हो गई थी। लाश ले जाने के लिए उन्होंने प्राइवेट एम्बुलेंस चालक से बात की। पहले तो एम्बुलेंस चालक ने न नुकुर की और फिर चार हजार रुपए की मांग की। बेटे की लाश लिए रमाशंकर शुक्ला ने उसे दो हजार रुपए देने को कहा, लेकिन वह लाश ले जाने के लिए राजी नहीं हुआ। अंत में मजबूरन रमाशंकर शुक्ल चार हजार रुपए देकर लाश लेकर घर आये। आपको बता दें कि सुलतानपुर से रमाशंकर शुक्ल का घर मात्र 11 किमी दूर है। इसी तरह रमाशंकर शुक्ल ने बेटे की लाश श्मशान घाट तक पहुंचाने के लिए भी 4 हजार रुपए दिए।