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सुल्तानपुर

Ground Report : ढाई गुना महंगे हो गये अर्थी के बांस, परिजन परेशान, बेशर्म मुनाफाखोर मस्त

Crematorium material price increase- शवों की अंतिम यात्रा भी हुई मंहगी, क्रिया कर्म और सामग्री के भी दाम बढ़े

सुल्तानपुरApr 24, 2021 / 04:23 pm

Hariom Dwivedi

Crematorium material
राम सुमिरन मिश्र
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
सुलतानपुर. Crematorium material price increased in Sultanpur. कोरोना महामारी (Corona Epidemic) की दूसरी लहर से हाहाकार मचा हुआ है। अस्पतालों में तपड़ते मरीज, श्मशानों में एक साथ जलती चिताएं और कब्रिस्तानों में दफन होती लाशों को देखकर कलेजा मुंह को आ जा रहा है। हर तरफ खौफ का साया है। इस बीच तमाम लोग अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की सेवा में लगे हैं, जबकि दूसरी तरफ ऐसे भी लोग हैं जो आपदा में अवसर तलाश रहे हैं। उन्हें लाशों में भी मुनाफा दिखाई दे रहा है। अब मुनाफाखोरों ने अंत्येष्टि सामग्री के साथ-साथ अंतिम यात्रा के लिए शव वाहन का चार्ज भी दोगुना कर दिया है।
क्रिया कर्म भी महंगा
सुलतानपुर (Sultanpur) शहर के पास करीब 5 श्मशान घाट हैं। इनमें हथियानाला,करौंदिया, बभंगनवा, मधुवन और नानेमऊ घाट हैं। इन घाटों पर रोजाना करीब 10 से 15 शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। यहां डोम ने अंतिम क्रियाकर्म महंगा कर दिया है।
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ढाई गुना तक महंगे हो गये अर्थी के बांस
शवों को लाने के लिए अर्थी में लगने वाले बांस भी अब दोगुना तक मंहगे हो गए हैं। पहले अर्थी बनाने के लिए लगने वाले बांस 400 सौ रुपये में मिल जाते थे, लेकिन अब वही बांस करीब 1000 रुपए में मिल रहे हैं। ऐसे ही अर्थी में लगने वाली और सामग्रियां भी दोगुने से ज्यादा महंगी हो गई हैं। हालांकि, बाजारों में अंतिम क्रियाकर्म में प्रयोग में आने वाले सामानों के दाम नहीं बढ़े हैं, लेकिन श्मशान घाट के आसपास की दुकानों पर सामानों के दाम दोगुने तक बढ़ गये हैं।
तीन हजार वाली पूजन सामग्री अब 5 हजार में
आम दिनों में शवों के अंतिम संस्कार में लगने वाली सामग्री करीब तीन हजार रुपए में मिल जाती थी, लेकिन अब उसी सामग्री के बदले 5 हजार रुपए तक चुकाने पड़ रहे हैं।
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शव विमान भी हुआ मंहगा
शुक्रवार को Sultanpur भदैया ब्लॉक के लोदीपुर गांव निवासी रमाशंकर शुक्ल के 30 वर्षीय पुत्र बृजेश कुमार शुक्ल की कोरोना के कारण मौत हो गई थी। लाश ले जाने के लिए उन्होंने प्राइवेट एम्बुलेंस चालक से बात की। पहले तो एम्बुलेंस चालक ने न नुकुर की और फिर चार हजार रुपए की मांग की। बेटे की लाश लिए रमाशंकर शुक्ला ने उसे दो हजार रुपए देने को कहा, लेकिन वह लाश ले जाने के लिए राजी नहीं हुआ। अंत में मजबूरन रमाशंकर शुक्ल चार हजार रुपए देकर लाश लेकर घर आये। आपको बता दें कि सुलतानपुर से रमाशंकर शुक्ल का घर मात्र 11 किमी दूर है। इसी तरह रमाशंकर शुक्ल ने बेटे की लाश श्मशान घाट तक पहुंचाने के लिए भी 4 हजार रुपए दिए।

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