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सुल्तानपुर

सुलतानपुर में छह महीनों में सर्पदंश से 50 की मौत, मुआवजा किसी को भी नहीं

सर्पदंश से होने वाली मौतों को उत्तर प्रदेश में राज्य आपदा घोषित किया गया है, इसके तहत दिवंगत व्यक्ति के परिजनों को 50 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी जाती है

सुल्तानपुरJul 14, 2021 / 03:49 pm

Hariom Dwivedi

sultanpur total death by snake bite compensation update
पत्रिका न्यूज नेटवर्क
सुलतानपुर. उत्तर प्रदेश सरकार ने सर्पदंश से होनी वाली मौत को राज्य आपदा घोषित किया है। इसके तहत दिवंगत व्यक्ति के परिजनों को एक सप्ताह में चार लाख रुपए की आर्थिक सहायता मिलती है। लेकिन, सुलतानपुर में बीते छह माह के भीतर 50 लोगों की मौत सर्पदंश से हुई है। इनमें से मात्र आठ लोगों के शवों को पुलिस ने पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंचाया। पोस्टमार्टम में भी मौत का कारण स्पष्ट न होने पर संबंधित शवों का विसरा सुरक्षित रखा गया है। मृतक के परिजनों को तब तक सरकारी मदद नहीं मिल सकेगी जब तक विसरा की जांच विधि विज्ञान प्रयोगशाला से आ नहीं आ जाती। ऐसे में असमय मौत के गाल में समाने वाले लोगों के परिवारीजनों के लिए सरकारी सहायता दूर की कौड़ी साबित हो रही है। अभी तक किसी को सरकारी इमदाद नहीं मिल सकी है।
सुलतानपुर जिला चिकित्सालय के इमरजेंसी मेडिकल अफसर डॉ. दीपक मिश्र कहते हैं कि सर्पदंश से मृत्यु वाले करीब 50 मामले यहां आ चुके हैं, लेकिन पोस्टमार्टम सिर्फ आठ लोगों का ही कराया गया है।
सर्पदंश से मौत, पर नहीं कराया गया पोस्टमार्टम
दोस्तपुर थाना क्षेत्र के दुर्गा खालिसपुर गांव निवासी विकास (35) को पखवारे भर पूर्व सांप ने डस लिया था। परिवारीजन विकास को लेकर सीएचसी पहुंचे थे, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। परिवारीजनों के अनुसार सीएचसी पर तैनात चिकित्सक ने पोस्टमॉर्टम कराने के लिए नहीं कहा, इसलिए परिजनों द्वारा शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। मोतिगरपुर से मिली जानकारी के मुताबिक क्षेत्र के मीरपुर सरैया निवासी अनिल नागर के 12 वर्षीय पुत्र सनी और आठ वर्षीय पुत्री सलोनी को शनिवार की रात चारपाई पर सोते समय सांप ने डस लिया। जानकारी होने पर परिजन दोनों को लेकर जिला अस्पताल गए थे जहां चिकित्सकों ने उन्हें मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया। बेटी सलोनी को शहर के एक हॉस्पिटल में भर्ती करने के बाद बेटे सनी को मेडिकल कॉलेज लखनऊ ले जा रहे थे कि जगदीशपुर के पास उसकी मौत हो गई। परिवारीजन उसे लेकर वापस सुलतानपुर चले आए। जानकारी न होने की वजह से बिना पोस्टमॉर्टम कराए ही बेटे का अंतिम संस्कार कर दिया। मंगलवार की सुबह करीब सात बजे सलोनी की भी हॉस्पिटल में मौत हो गई। परिवारीजनों की सूचना पर पुलिस ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा और शव का पोस्टमार्टम कराया।
दहशत व झाड़-फूंक से होती हैं 90 फीसदी मौतें
पर्यावरणविद प्रकाश विजय बताते हैं कि करैत, कोबरा, रसेल वाईपर और स्केल्ड वाईपर मुख्य जहरीले सांप है। सर्पदंश से 90 फीसदी मौतें झाड़-फूंक व दहशत से हो जाती हैं। ग्रामीण रात में टॉर्च या पर्याप्त रोशनी के साथ ही बाहर जाएं। ऐसा जूता पहनें जो पैर को ऊपर तक अच्छी तरह ढक सके, साथ में एक डंडा और गमछा भी रखें। अगर किसी की अचानक सांप से भेंट हो जाए तो वह अपना गमछा या कोई भी कपड़ा तुरंत निकालकर उस पर फेंक दें। सांप आदतन उसी में उलझ जाएगा।
तुरंत अस्पताल ले जाएं
डॉक्टरों का कहना है कि सर्पदंश की स्थिति में काटने वाली जगह को पानी से कपड़ा धोने वाले साबुन से अच्छी तरह धोना चाहिए। फिर रुमाल, गमछा से जहां काटने का निशान हो उसके ऊपर के एक हड्डी वाले भाग यानी पैर में काटा है तो जांघ में और हाथ में काटा है तो कुहनी के ऊपर बांध दें। पुकार कर किसी को बुलाएं या धीरे-धीरे उपचार के लिए अस्पताल पहुंचे और तुरंत एंटीवेनम इंजेक्शन लगवाएं।
जहरीले सांप के काटने पर सीरिंज से निकालें खून
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. धर्मेद्र कुमार त्रिपाठी बताते हैं कि कोबरा के डसने पर कटा हुआ स्थान 15 मिनट के अंदर सूजने लगता है। यह कोबरा के डसने का लक्षण है। ध्यान से देखें तो दो मोटी सुई के धंसने से जैसे निशान विषदंत के स्थान पर दिखेगा। प्राथमिक उपचार में नई सीरिंज से सांप के डसने के स्थान पर निशान पर लगा कर खींच-खींच कर खून निकालें। विष का असर केवल खून में जाने पर ही होता है।
सर्पदंश से काटने पर 4 लाख की आर्थिक सहायता
उत्तर प्रदेश में सांप के काटने से होने वाली मौत को शासन ने राज्य आपदा घोषित कर दिया है। इसके तहत दिवंगत व्यक्ति के स्वजन सरकारी मुआवजे के हकदार होंगे। उन्हें चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता मिलेगी। यह राशि पाने के लिए स्वजन को अभिलेख प्रस्तुत करने होंगे। सत्यापन और जिलाधिकारी की संस्तुति के बाद एक सप्ताह में सहायता राशि देने का प्रावधान किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि सर्पदंश से मौत पर मृतक का पंचनामा व पोस्टमार्टम कराया जाएगा। अगर बिसरा प्रिजर्व करने की आवश्यकता नहीं होगी तो मृतक के आश्रितों को सात दिन के भीतर आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।

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