उन्होंने कहा कि नगरीय निकायों में अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण की घोषणा के बाद छत्तीसगढ़ के पिछड़ा वर्ग समाज में भारी असंतोष है। जैसे ही नगर पंचायत, पालिकाओं और नगर निगमों में अध्यक्ष पद का आरक्षण घोषित हुआ, ओबीसी समाज के कई लोगों ने उच्च न्यायालय में इसके खिलाफ याचिकाएं दाखिल कीं। बताया जा रहा है कि इन याचिकाओं पर 21 जनवरी 2025 को सुनवाई हो सकती है।
मनीष कुंजाम ने कहा कि 30 दिसंबर 2024 को बस्तर संभाग के पिछड़ा वर्ग संघ ने
आरक्षण में कमी के खिलाफ बंद और चक्काजाम का आयोजन किया था। यह आंदोलन तीन जिलों को मिलाकर दस जिलों में प्रभावी रहा और इसे सफल माना गया। इसके बावजूद सरकार ने अध्यक्ष पद के आरक्षण की घोषणा कर दी, जिससे ओबीसी समाज में नाराजगी और बढ़ गई है।
विश्वकर्मा रिपोर्ट पर सवाल
कुंजाम ने आरोप लगाया कि जिस विश्वकर्मा रिपोर्ट को आधार बनाकर सरकार ने आरक्षण तय किया है, उसकी सच्चाई संदेह के घेरे में है। उन्होंने इस रिपोर्ट की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह रिपोर्ट ओबीसी समाज के साथ न्याय नहीं करती।
बस्तरिया राज मोर्चा की मांग
बस्तरिया राज मोर्चा ने स्पष्ट किया है कि सरकार को चुनाव की घोषणा से पहले आरक्षण के मसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। मोर्चा ने मांग की कि ओबीसी समाज को उनकी जनसंया के अनुपात में आरक्षण दिया जाए ताकि समाज में व्याप्त असंतोष को दूर किया जा सके। कुंजाम ने चेतावनी दी कि यदि सरकार इस मुद्दे पर ध्यान नहीं देती है, तो ओबीसी समाज का असंतोष और आंदोलन तेज हो सकता है।