अदालत के फैसले का सम्मान
कनाडा का यह नया कानून (Canada Citizenship Act) , पहली पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में वंश के आधार पर नागरिकता का विस्तार करता है। प्रस्तावित संशोधन पिछले साल अदालत के फैसले के मद्देनजर आया है, जिसमें पहली पीढ़ी की सीमा को असंवैधानिक माना गया था। कनाडा (Canada) सरकार ने इस आदेश के खिलाफ अपील नहीं करने का फैसला लिया था। इमिग्रेशन अटॉर्नी पवन ढिल्लो ने कानून को समझाते हुए कहा है कि अगर ए का जन्म भारत में हुआ। बाद में वह कनाडा गया और वहां की नागरिकता हासिल कर ली। ए ने भारत लौटने पर एक बच्चे बी को जन्म दिया। बी की मां कनाडा की नागरिक है लेकिन कनाडाई सरकार पहली पीढ़ी की सीमा नियम के तहत इस बच्चे को नागरिकता नहीं दे सकती थी। यानी पहली पीढ़ी जो विदेश में पैदा हुई थी, उसे विदेश में पैदा हुई दूसरी पीढ़ी को वंश के आधार पर नागरिकता देने का अधिकार नहीं था।
प्रवासियों ने किया स्वागत
इस कानून का भारत (Indians in Canada) समेत कई देशों के प्रवासियों ने स्वागत किया है। इसके पूर्व नागरिकता अधिनियम में 2009 में संशोधन किया गया था ताकि वंश के आधार पर नागरिकता में ‘पहली पीढ़ी की सीमा’ जोड़ी जा सके। इसका मतलब है कि कनाडाई माता-पिता के कनाडा के बाहर पैदा हुए बच्चे को नागरिकता तभी मिलती है, जब उसके माता-पिता कनाडा में पैदा हुए हों। ऐसे में ऐसे उन कनाडाई नागरिकों के देश से बाहर पैदा हुए बच्चों को खुद से नागरिकता नहीं मिलती थी, जो कनाडा के बाहर पैदा हुए थे और जिन्होंने पहली पीढ़ी में कनाडाई नागरिकता हासिल की थी