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शहर में बेघरों के लिए नहीं पर्याप्त आश्रय स्थल

रिपोर्ट में बेघर लोगों को अधिकार प्रदान करने और हिंसा एवं मनमाने ढंग से बेदखली को रोकने के लिए संसद द्वारा बेघर फुटपाथ निवासियों (कल्याण) विधेयक पारित करने का आह्वान भी किया गया।

बैंगलोरJun 24, 2024 / 11:39 am

Nikhil Kumar

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– पारिवारिक संघर्ष, पलायन और नौकरी बड़ा कारण

 बृहद बेंगलूरु महानगर पालिका (BBMP) के पश्चिमी क्षेत्र में बेघर लोगों की संख्या सबसे अधिक 39.6 फीसदी है। 25.4 फीसदी के साथ पूर्वी क्षेत्र दूसरे जबकि 10 फीसदी के साथ महादेवपुरा क्षेत्र तीसरे स्थान पर है। पारिवारिक संघर्ष बेघर होने का प्रमुख कारण निकला। 34 फीसदी उत्तरदाताओं ने इसे कारण बताया। ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन के कारण 27.21 फीसदी लोग बेघर हुए। काम खोजने में कठिनाई के कारण 26.4 फीसदी बेघर हो गए।
विशेषता

Bengaluru Homeless Survey Report के अनुसार बेघर व्यक्तियों की अधिक संख्या वाले क्षेत्रों की विशेषता वहां होने वाली व्यावसायिक गतिविधियों की मात्रा और विविधता है। इसमें सब्जी बाजार, मुफस्सिल बस और ट्रेन स्टेशन, और विभिन्न प्रकार के माल की लोडिंग और अनलोडिंग केंद्र शामिल हैं।
अजीम प्रेमजी फाउंडेशन और प्रोजेक्ट स्माइल ट्रस्ट की संयुक्त पहल बेंगलूरु होमलेस प्रोग्राम (बीएचपी) के तहत यह सर्वेक्षण वर्ष 2022 में किया गया था। सर्वेक्षणकर्ताओं ने 551 हॉटस्पॉट (तीन से अधिक बेघर व्यक्तियों वाले स्थान) की पहचान की थी और 50 आश्रय गृहों में 1,591 व्यक्तियों से डेटा भी एकत्र किया गया था।
आसान नहीं भोजन मिलना

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ज्यादातर हॉटस्पॉट दुकानों के बाहर (41.10 फीसदी), फुटपाथ या फुटपाथ (28.77 फीसदी), बस स्टैंड (10.76 फीसदी) और रेलवे स्टेशन (7.44 फीसदी) पर स्थित थे। 48.95 फीसदी उत्तरदाताओं ने भोजन प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करने की बात कही। ज्यादातर ने कहा कि उन्हें भोजन और पानी ज्यादातर होटलों, भीख मांगने, इंदिरा कैंटीन, सार्वजनिक नल और Religious institutions के जरिए मिलता है।
1869 लोगों के लिए ही जगह

रिपोर्ट के अनुसार बेंगलूरु में शहरी बेघर श्रेणी के अंतर्गत वर्गीकृत 14,189 व्यक्ति दर्ज किए गए थे जबकि मौजूदा आश्रय स्थलों में केवल 1,869 लोगों के लिए ही जगह थी।
सबसे ज्यादा आश्रय गृह

बेंगलूरु पूर्व में सबसे ज्यादा आश्रय गृह थे। नौ आश्रय गृहों में संभावित 256 व्यक्तियों में से 135 को रहने की जगह दी गई थी। इसके बावजूद, शहर की आश्रय गृह क्षमता का केवल 52.08 फीसदी ही उपयोग किया गया। आश्रय गृहों तक पहुंच और इनके बारे में जागरूकता की कमी मुख्य कारण निकला।
अधिकारों पर जोर

रिपोर्ट में बेघर लोगों को अधिकार प्रदान करने और हिंसा एवं मनमाने ढंग से बेदखली को रोकने के लिए संसद द्वारा बेघर फुटपाथ निवासियों (कल्याण) विधेयक पारित करने का आह्वान भी किया गया।
कई बदलाव के सुझाव

रिपोर्ट में कई बदलावों का सुझाव दिया गया है, जिसमें खराब मौसम के लिए स्लीपिंग मैट और टारप का प्रावधान और किफायती आवास बनाने जैसी बड़ी पहल शामिल हैं। इसने यह भी सिफारिश की है कि अस्पताल बेघर व्यक्तियों को स्वास्थ्य सेवा तक आसान पहुंच प्रदान करने के लिए उनके मेडिकल रिकॉर्ड उपलब्ध कराएं। अन्य सुझावों में सामुदायिक विकास को बढ़ावा देना, बेहतर पोस्टऑपरेटिव देखभाल के लिए आश्रयों के पास अस्पताल स्थापित करना और इंदिरा कैंटीन व सार्वजनिक फिल्टर नल जैसी पहलों के माध्यम से पौष्टिक भोजन तक पहुंच में सुधार करना शामिल था।

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