ऑनलाइन टिकट खरीदने पर अगर टिकट कन्फर्म नहीं हुआ, तो रेलवे से रिफंड मिल जाता है। यानी टिकट स्वत: कैंसिल हो जाता है। लेकिन काउंटर टिकट में यात्री रिफंड नहीं लेकर ट्रेनों में चढ़ जाते हैं। टीटीई भी ट्रेन में वेटिंग टिकट लेकर यात्रियों के खड़े होने की शिकायत करते थे। बड़ी संख्या में यात्रियों के चढऩे से कंफर्म टिकट वाले यात्रियों को भी परेशानी होती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। ट्रेन में वेटिंग टिकट पर सफर कर लेते हैं, तो जांच स्टाफ अगले स्टेशन पर ही उतार देगा। उनसे जुर्माना भी ले सकता है। बताया जाता है कि कि आरक्षित कोच में भीड़ का वीडियो वायरल होने और आरक्षित टिकट लेकर यात्रा के दौरान होने वाली असुविधा को ध्यान में रखकर दपूम रेलवे नागपुर मंडल अंतर्गत सभी मेल, एक्सप्रेस ट्रेनों में इसके लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है।
रेलवे द्वारा ट्रेनों में सीट उपलब्ध न होने के बावजूद भी सैकड़ों यात्रियों को वेटिंग टिकट जारी कर दी जाती है। ऐसे में वेटिंग टिकट वाले यात्री रिवर्जेशन बोगी में घुस जाते हैं और भीड़ बढ़ाते हैं।
कन्फर्म टिकट पर यात्रा करने वाले यात्री ट्विट या फिर अन्य माध्यमों से रेलवे में शिकायत करते हैं। लेकिन मानवता की वजह से कोई कार्यवाही नहीं कर पाता। वेटिंग लिस्ट वाले यात्री एक डिब्बे से दूसरे डिब्बे में घूमते हैं और जहां सीट मिलती है बैठ जाते हैं। इससे कन्फर्म टिकट यात्री की यात्रा में खलल पड़ता है। सामान चोरी होने का भी भय रहता है।
रेलवे अब ट्रेनों में अनावश्यक भीड़ कम करने के लिए सख्ती कर रही है। मंडल द्वारा प्रमुख रेलवे स्टेशनों से प्रस्थान करने वाली ट्रेनों में जांच भी शुरु कर दी है। दरअसल ट्रेन का चार्ट करीब चार घंटे पहले तैयार किया जाता है और यात्रियों को पता चल जाता है कि टिकट कन्फर्म हुआ है या नहीं, ऐसी स्थिति में यात्री ट्रेन छूटने से आधे घंटे पहले वेटिंग लिस्ट का टिकट कैंसिल कर सकते हैं, लेकिन ट्रेन छूटने के बाद टिकट कैंसिल कराने पर यात्रियों को कोई रिफंड नहीं मिलेगा। कुल मिलाकर जिनके पास कन्फर्म टिकट है, वही सफर कर सकेंगे।
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे नागपुर मंडल ने यात्रियों को होने वाली असुविधा को देखते हुए गाइडलाइन जारी कर रखी है कि वेटिंग टिकट नाट अलाउ। इन आदेशों को यदि सख्ती से लागू कर दिया गया, तो रेलवे की आमदनी पर भी इसका असर पड़ेगा। दरअसल सामान्य टिकट पर प्लेटफॉर्म पर गाड़ी की इंतजार करने वाले यात्रियों की भी उनके गंतव्य तक की टिकट बना दी जाती है, जिससे रेलवे को काफी राजस्व मिलता है। इसके अलावा जनरल टिकट वाले भी रिजर्वेशन बोगी में घुसकर टिकट बनवा लेते हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
इस संबंध में रेलवे यात्रियों का कहना है कि रेलवे खुद ही नियम बना रही है और खुद ही तोड़ रही है। बता दें कि रेलवे में अब स्लीपर क्लास के डिब्बों की संख्या घट रही है और एसी क्लास के डिब्बों की संख्या बढ़ रही है। इसका असर सामान्य वर्ग के लोगों पर सीधा पड़ रहा है, जो स्लीपर क्लास में यात्रा करते हैं। इन यात्रियों की वेटिंग लिस्ट 400 तक पहुंच जाती है। ऐसे में यह भी सवाल उठता है कि जब वेटिंग टिकट पर यात्रा की अनुमति नहीं है, तो वेटिंग का मापदंड इतना बड़ा क्यों रखा हुआ है। यात्रियों का कहना है कि रेलवे को खुद ही चाहिए की वह वेटिंग टिकट ही न दे।