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Deputy Lok Sabha Speaker Election: डिप्टी स्पीकर पर पक्ष-विपक्ष के अड़ जाने से बिगड़ी बात, जानें क्यों जरूरी है ये पद

Dy Lok Sabha Speaker Election: कांग्रेस ने परंपरा निभाते हुए डिप्टी स्पीकर का पद मांगा, जिस पर BJP नेताओं ने पहले स्पीकर के चुनाव पर बात करने के लिए कहा। यहीं से बात बिगड़ गई और विपक्ष ने उम्मीदवार उतार दिया।

नई दिल्लीJun 26, 2024 / 10:39 am

Akash Sharma

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Dy Lok Sabha Speaker Election: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह स्पीकर को लेकर सर्वसम्मति बनाने की कोशिश कर रहे थे। इसके लिए उन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से बात भी की। हर बार डिप्टी स्पीकर को लेकर बात नहीं बन पाई। वहीं मंगलवार सुबह संसद में राजनाथ सिंह के कक्ष में एक बार फिर से कांग्रेस संगठन महासचिव व सांसद के.सी. वेणुगोपाल व डीएमके के नेताओं से भाजपा नेताओं ने बात की। इस दौरान भी कांग्रेस ने परंपरा निभाते हुए डिप्टी स्पीकर का पद मांगा, जिस पर भाजपा नेताओं ने पहले स्पीकर के चुनाव पर बात करने के लिए कहा। यहीं से बात बिगड़ गई और विपक्ष ने उम्मीदवार उतार दिया।
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डिप्टी स्पीकर का इतिहास  (History of Deputy Speaker)

– 1952 से लेकर 1969 तक देश में कांग्रेस की सरकार थी। लोकसभा अध्यक्ष और लोकसभा उपाध्यक्ष पद पर कांग्रेस सांसद ही चुने गए। इन 17 सालों में देश में मान्यता प्राप्त विपक्ष नहीं था।
– 1969 में कांग्रेस में विभाजन के बाद पहली बार विपक्ष अस्तित्व में आया। 1969 से लेकर 1977 तक आल पार्टी हिल लीडर्स कांफ्रेस के जी.जी. स्वैल डिप्टी स्पीकर पद पर रहे।

– 1977 से लेकर 1989 तक जनता पार्टी और कांगे्रस सरकार सत्ता में रही। इस दौरान कांग्रेस के गोडे मुरहरि, द्रमुक के जी.लक्ष्मणन और अन्नाद्रमुक के एम. थंबीदुरई उिप्टी स्पीकर रहे।
– 1991 से लेकर 1996 तक पी.वी.नरसिम्हा राव के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार रही। भाजपा विपक्ष में थी। इस दौरान भाजपा के एस. मल्लिकार्जुन और सूरजभान डिप्टी स्पीकर रहे।

– 1999 से लेकर 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा सरकार सत्ता में रही। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के पी.एम. सईद डिप्टी स्पीकर चुने गए।
– 2004 से 2014 तक मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार सत्ता में रही। इन दस सालों में पहले पांच साल अकाली दल के चरणजीत सिहं अटवाल और अगले पांच साल भाजपा के कारिया मुंडा डिप्टी स्पीकर रहे।
– 2014 से 2019 तक मान्यता प्राप्त विपक्षी दल नहीं होने के बावजूद सत्तारूढ़ एनडीए सरकार के गठबंधन सहयोगी एआइएडीएमके के पी. थंबी दुरई डिप्टी स्पीकर रहे। वहीं 2019 से 2024 17वीं लोकसभा में कोई डिप्टी स्पीकर नहीं रहा।
Hema malini
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नए सदस्यों का शपथग्रहण पूराः

गोविल ने संस्कृत में ली शपथ, हेमा बोलीं- राधे-राधे

– नई लोकसभा के सदस्यों का सदन में दो दिन तक चला शपथ ग्रहण कार्यक्रम मंगलवार को पूरा हो गया। प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब ने शपथ ग्रहण समारोह में लगाए गए नारों को कार्यवाही से हटा दिया है।
– रायबरेली संसदीय क्षेत्र से चुनकर आए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संविधान की प्रति हाथ लेकर अंग्रेजी में सदस्यता की शपथ ली और शपथ लेने के बाद ‘जय हिंद तथा जय संविधान’ का नारा लगाया।
– रामायण धारावाहिक में राम की भूमिका निभाने वाले मेरठ संसदीय सीट से चुनकर आए भाजपा के अरुण गोविल ने संस्कृत में शपथ ली और शपथ ग्रहण के बाद जय श्रीराम का नारा भी लगाया।
– उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर सीट से चुनकर आए डॉ महेश शर्मा ने भी संस्कृत में शपथ ली। उन्नाव से निर्वाचित साक्षी महाराज ने भी संस्कृत में शपथ ली।

– मथुरा से भाजपा के टिकट पर निर्वाचित मशहूर अभिनेत्री हेमा मालिनी ने शपथ लेने से पहले राधे राधे का जयघोष किया और अंत में जय कृष्ण जय राधा रानी का नारा लगाया।
– नगीना से चुनकर आए चंद्र शेखर ने शपथ लेते समय संविधान की बड़ी प्रति हाथ में रखी हुई थी, जिसका आवरण नीले रंग का था। उन्होंने वस्त्र भी नीले ही पहने थे।

ओबैसी ने लगाया जय फिलिस्तीन का नारा

AIMIM के हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने उर्दू में शपथ ली। शपथ के बाद उन्होंने जय भीम के साथ-साथ जय फिलिस्तीन का नारा लगाया। इससे विवाद हो गया। भाजपा ने दोबारा शपथ की मांग की। हालांकि नारे के रेकॉर्ड से हटा दिया गया। बाद में सोशल मीडिया पर इसे लेकर हंगामा चलता रहा। भाजपा नेताओं का कहना है कि जय फिलिस्तीन का नारा लगाने के कारण ओबैसी की सदस्यता समाप्त की जानी चाहिए।

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