‘हमारी नहीं सुनते, कम से कम संसद की तो सुनिए’, बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को फटकारा
इसके मुताबिक, अरुण गवली ने 2006 की अधिसूचना के तहत अपनी जल्द रिहाई की मांग करते हुए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। गवली ने अपनी याचिका में दलील दी थी कि वो अब 69 साल का हो गया है और सरकार के एक आदेश के मुताबिक उसे जेल से रिहा किया जाना चाहिए।शिवसेना नेता की कराई थी हत्या
मायानगरी मुंबई के दगड़ी चॉल के रहने वाले अरुण गवली पर कई गंभीर मामले दर्ज है। 69 वर्षीय गवली 2004-2009 के दौरान विधायक भी था। उसे 2006 में मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया था। 2012 में शिवसेना नेता कमलाकर जामसांडेकर की हत्या के मामले में गवली को कोर्ट ने दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई। यह घटना 2 मार्च 2007 को घटी थी। शिवसेना नगरसेवक कमलाकर का सदाशिव सुर्वे से संपत्ति को लेकर विवाद चल रहा था। सदाशिव ने ही गवली को कमलाकर की सुपारी दी थी। इसके बाद अरुण गवली ने शिवसेना नेता को मारने की जिम्मेदारी प्रताप गोडसे को दी। कमलाकर की 2 मार्च 2007 को हत्या कर दी गई।
क्या है 2006 का महाराष्ट्र सरकार का फैसला?
10 जनवरी 2006 के अधिसूचना के अनुसार ऐसे कैदी जो 65 वर्ष की आयु पूरी कर चुके हों, जो शारीरिक रूप से अक्षम हों और जिन्होंने अपनी आधी सजा पूरी कर ली हो, उन्हें शेष सजा से छूट देकर रिहा करने का प्रावधान है।