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Mammography Test : स्तन और गर्भाशय कैंसर से बचाव के लिए 40 के बाद कराएं ये दो टेस्ट

Mammography Test : महिलाएं अपनी सेहत को नजरअंदाज करती हैं। उन्हें सेहत के प्रति सर्तकता बरतनी चाहिए क्योंकि वे स्वस्थ रहेंगी तो परिवार स्वस्थ रहेगा।

जयपुरJun 23, 2024 / 12:37 pm

Manoj Kumar

Mammography test for women over 40,

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40 वर्ष की उम्र के बाद महिलाओं को कई तरह की बीमारियों का खतरा हो सकता है, जिसके लिए उन्हें सजग रहने की जरूरत है। बीमारियों से बचने के लिए समय-समय पर कुछ टेस्ट अवश्य कराएं ताकि बीमारी का शुरुआती दौर में पता लग जाए।

मैमोग्राफी टेस्ट Mammography Tests

महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा रहता है। इसके लिए मैमोग्राफी टेस्ट कराना चाहिए। 40 की उम्र के बाद इसे हर साल करवाना चाहिए। स्त्री रोग विशेषज्ञ के परामर्श से क्लिनिकल ब्रेस्ट एग्जामिशन कराया जा सकता है।

पैप स्मीयर टेस्ट Pap Smear Test

महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर का भी खतरा अधिक रहता है। हालांकि इसकी स्क्रीनिंग तो 21 की उम्र से ही शुरू हो जानी चाहिए। लेकिन 40 की उम्र के बाद भी इससे बचाव के लिए पैप स्मीयर टेस्ट अवश्य कराना चाहिए।

आरए फैक्टर टेस्ट RA factor test

Pap smear test cervical cancer prevention
Pap smear test cervical cancer prevention
महिलाओं में आर्थराइटिस की समस्या भी देखने को मिलती है। उन्हें जोड़ों में दर्द रहता है। इसके लिए भी स्क्रीनिंग टेस्ट करवाना चाहिए। आरए फैक्टर टेस्ट करवा सकते हैं। ये टेस्ट करवाने से आर्थराइटिस के रिस्क के बारे में पता चलता है।

विटामिन डी व विटामिन बी12 टेस्ट Vitamin D and Vitamin B12 test

महिलाओं में पोषण की कमी पाई जाती है। उनमें विटामिन डी और विटामिन बी12 की कमी मिलती है। शाकाहारी लोगों में विटामिन बी12 की कमी ज्यादा होती है। उन्हें इसका टेस्ट करवाना चाहिए।

हृदय व शुगर टेस्ट Heart and sugar test

महिलाओं में मेनोपॉज के बाद हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए 40 वर्ष के बाद मॉनिटरिंग बेहद जरूरी है। कम से कम तीन महीने में एक बार अपने नजदीकी क्लिनिक में जाकर बीपी, ईसीजी या टीएमटी टेस्ट करा सकते हैं। इसी तरह शुगर टेस्ट और एचबीए1सी टेस्ट भी करवा सकते हैं। लिपिड प्रोफाइल टेस्ट भी कराएं।

डेक्सा स्कैन टेस्ट Dexa scan test

मेनोपॉज के बाद महिलाओं की हड्डियों का क्षय होने लगता है। इससे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं खासकर रीढ़ की हड्डी, पैर की लंबी हड्डियां, कलाई की हड्डी। इन सब में फ्रेक्चर का रिस्क बढ़ जाता है। इसे ऑस्टियोपोरोसिस कहते हैं। इसके लिए डेक्सा स्कैन टेस्ट करवा सकते हैं। इस टेस्ट से बोन डेन्सिटी का पता चलता है।
  • डॉ. शिराली अरविन्द रुनवाल, स्त्री रोग विशेषज्ञ

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