नए इशारों से समृद्ध और आसान कर रहे दिल की भाषा, अपनी अलग पहचान बना रहे दिव्यांग
Sign Language Day 2024: उंगलियों के इशारों से अपनी हर बात कहने, समझने वाले लोग अब अपनी अलग पहचान बना रहे हैं। पढ़ाई के साथ कला और संस्कृति से जुड़ रहे हैं। patrika.com ने खोजे ऐसे स्पेशल युवा जो आसान और समृद्ध कर रहे सांकेतिक भाषा, जानें कैसे ब्राइट हो रहा इनका फ्यूचर…
Sign Language Day 2024: साइन लैंग्वेज में बोलचाल शब्दों से नहीं, भावनाओं और हाथों के इशारों से होती है। इशारों और भावों से जुड़ी यह दिल की भाषा है। यह भाषा अब दिव्यांगों को पढ़ाई के साथ कला और सांस्कृति से जोड़ रही हैं। इंटरनेशनल डे ऑफ साइन लैंग्वेज के मौके पर पत्रिका ने कुछ ऐसे किरदार ढूंढ़े, जिन्होंने न सिर्फ अपने लिए विशेष जगह बनाई, बल्कि अपनी बातें एक-दूसरे से साझा करने के लिए नए गैस्चर्स भी डेवलप कर लिए।
300 तरह की साइन लैंग्वेज का इस्तेमाल
वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ डेफ के अनुसार दुनिया में 7 करोड़ से ज्यादा लोग सुन नहीं सकते हैं। इनके लिए 300 तरह की साइन लैंग्वेज का इस्तेमाल किया जाता है।
सीए गीता ढींगरा की बेटी अनन्या ढींगरा 27 साल की हैं। मल्टीपल डिसेबिलटी से पीड़ित हैं। उन्हें सुनने में भी दिक्कत है। अनन्या बोल नहीं पातीं।
खुशी-एक्साइटमेंट-दया के साथ गुस्सा भी
दूसरी भाषाओं की तरह साइन लैंग्वेज का भी व्याकरण और नियम है। यह दुनियाभर में न सुन सकने वालों के लिए बेहद जरूरी है। अलग-अलग देशों में ‘साइन’ के जरिए बधिर व्यक्तियों को एक ही बात कहने और समझाने के अलग-अलग तरीके हैं। सांकेतिक भाषा से खुशी, एक्साइटमेंट, दया, गुस्सा भी बयां किया जा सकता है।
ओरिजनल के साथ नए गेस्चर्स भी कर रहे डेवलप
अभिनव संत सुन नहीं सकते। वे ग्वालियर की अहसास संस्था में स्विमिंग कोच हैं और कम्प्यूटर टीचर भी। विशेष बच्चों को कम्प्यूटर सिखाते हैं। वे स्टेट और नेशनल लेवल पर क्रिकेट खेलते हैं और कई ट्रॉफी जीतकर प्रदेश का नाम रोशन कर चुके हैं। उन्होंने ओरिजनल साइन लैंग्वेज के साथ गेस्चर्स डेवलप किए हैं। अपने साइन भी डेवलप किए। क्रिकेट खेलने में इनका उपयोग करते हैं।