जनसभा को संबोधित करते हुए मायावती ने कहा, केंद्र में पूर्व में रही कांग्रेस की सरकार तरह भाजपा सरकार में भी जातिवादी, हीन, संप्रदाय और पूंजीवादी सोच की वजह से ही सर्वसमाज में खासकर गरीबों, वंचितों, दलितों, आदिवासी, मुस्लिम, पिछड़े किसी का भी विकास नहीं हो सका है। पूरे देश में यहां दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्ग का सरकारी नौकरियों में अधूरा पड़ा आरक्षण का कोटा भी अभी तक नहीं भरा गया है। जिसके कारण SC-ST वर्ग के सरकारी कर्मचारियों का प्रमोशन में आरक्षण भी खत्म किया जा रहा है।
सपा ने खत्म किया था सरकारी नौकरी में आरक्षण
मायावती ने कहा, इतना ही नहीं जब समाजवादी पार्टी की यूपी में सरकार थी, तब सपा ने इन वर्गों के सरकारी कर्मचारियों का आरक्षण पूरी तरह से खत्म कर दिया था। ऐसी स्थिति में दलितों और आदिवासी लोगों को अपना एक भी वोट समाजवादी पार्टी को नहीं देना है। साथ ही केंद्र और राज्यों में भी विरोधी पार्टियों की रही सरकारों में भी इन सभी वर्गों में आरक्षण दिए जाने की व्यवस्था को खत्म करते हुए पूंजीपतियों और धन्नासेठों को ही आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा, मुस्लिम और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोगों की भी हालत यहां काफी ज्यादा खराब और दैनीय बनी हुई है। जिसका काफी कुछ खुलासा सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में भी किया गया है। पिछले कुछ वर्षों में केंद्र और राज्यों में बीजेपी और RSS के चलते हुए अब इनका विकास और उत्थान होना भी बंद सा हो गया है।
इनपर हिंदूत्व की आड़ में हो रही जुल्म जाति काफी ज्यादा चरम सीमा पर पहुंच गई है। अपर कास्ट में भी गरीब लोगों की हालत कोई खास अच्छी नहीं आती है। इनकी गलत कृषि नीतियों की वजह से आए दिन किसान आंदोलन कर रहा है। गलत आर्थिक नीतियों की वजह से देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है। जिससे यहां छोटे और मध्यम वर्ग के व्यापारी काफी ज्यादा दुखी और परेशान हैं।
देश में महंगाई, गरीबी और बेरोजगारी चरम पर
बसपा सुप्रीमों ने कहा, भाजपा सरकार के राज में पूरे देश में गरीबी, मंहगाई, बेरोजगारी लगातार काफी ज्यादा बढ़ रही है। देश में हर स्तर पर फैला भ्रष्टाचार भी अभी खत्म नहीं हुआ है। ऐसे में अब आप लोगों को देश में हो रहे लोकसभा आम सभा चुनाव में कांग्रेस, बीजेपी और इनकी सहयोगी पार्टियों को सत्ता में आने से जरूर रोकना है।
इनकी गलत नीतियों और गलत कार्यप्रणाली को आप लोग काफी हद तक आजमा भी चुके हैं। ऐसी स्थिति में अब यह विरोधी पार्टियां किस्म किस्म के साम, दाम, दंड, भेद और तमाम हथकंडे अपनाकर केंद्र की सत्ता में आने की पूरी कोशिश में लगी हैं। जिससे अपनी पार्टी के लोगों को काफी ज्यादा सावधान रहना है।
अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ रही बसपा
उन्होंने कहा, हमारी पार्टी कांग्रेस, बीजेपी या अन्य किसी भी विरोधी पार्टी और गठबंधन के साथ मिलकर नहीं बल्कि अकेली ही अपनी पार्टी के बल बूते पर पूरी दमदारी के साथ चुनाव लड़ रही है। हमने टिकट बंटवारे में भी सर्वसमाज को ध्यान में रखकर उचित भागीदारी दी है। यहां मौजूद भीड़ के जोश को देखकर मुझे काफी हद तक यह भरोसा हो गया है कि पिछली बार की तरह इस बार भी आप लोग लोकसभा आम चुनाव में पार्टी का बेहतर रिजल्ट लाएंगे।
आजादी के बाद से शुरू में केंद्र और देश के काफी राज्यों में ज्यादातर सत्ता कांग्रेस पार्टी के हाथों में रही है। इनको इनके अधिकांश मामलों में गलत नीतियों और गलत कार्यप्रणाली की वजह से ही फिर इस पार्टी सिर्फ केंद्र ही नहीं बल्कि राज्यों की सत्ता से भी बाहर होना पड़ा। यही स्थिति इनके सहयोगी पार्टियों की भी बनी रही है। जिसके कारण यह पिछले कुछ वर्षों से बीजेपी और उसके सहयोगी दल केंद्र और काफी राज्यों में सत्ता में काबिज हो गए हैं।
लेकिन, इनके लिए ज्यादातर रही जातिवादी, पूंजीवादी, संर्कीण, संप्रदाय और गलत नीतियों कार्यप्रणाली के साथ ही इनकी कथनी और करनी में फर्क की वजह से अब ऐसा लगता है कि इस बार भाजपा भी केंद्र की सत्ता में आसानी से वापस आने वाली नहीं है। बशर्ते अगर यह चुनाव इस बार फ्री एंड फेयर होता है और अगर वोटिंग मशीनों में कोई गड़बड़ी आदि नहीं हुई है, और वैसे भी इस बार भाजपा की कोई नई या पुरानी नाटकबाजी, जुमलेबाजी और गारंटी काम में आने वाली नहीं है।
ऐसे में देश की जनता काफी हद तक इस बात को समझ चुकी है कि इनकी पार्टी विशेषकर गरीबों, कमजोर तबकों, मध्यम वर्गीय और मेहनतकश लोगों को जो इन्होंने अच्छे दिन दिखाने का वादा किया था, वह सिर्फ हवा हवाई और काजगी ही दिखी।
मायावती ने कहा, भाजपा के अगर कामों की बात की जाए तो जमीनी स्तर पर अभी तक इन्होंने एक चौथाई हिस्सा भी काम नहीं किया है। बल्कि इसकी जगह भाजपा का ध्यान और ताकत अपने चहेते पूंजीपतियों और धन्नासेठों को ज्यादा से ज्यादा मालामाल और धनवान आदि बनाने में छूट देने और बचाने में लगी रही है।
जिनके अधिकांश आर्थिक सहयोग से ही यह पार्टी और अन्य पार्टियां भी अपना संगठन चलाती हैं और चुनाव भी लड़ाती हैं। जिसका काफी कुछ खुलासा सामने आई इलेक्टोरल बांड रिपोर्ट से भी हो जाता है। इस संबंध में मैं बताना चाहती हूं कि अभी कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बांड की रिपोर्ट का जो खुलासा किया है, तो उससे यह साफ जाहिर है कि इस देश में कांग्रेस, बीजेपी और अन्य विरोधी पार्टियों ने यहां बड़े बड़े पूंजीपतियों और धन्नासेठों से अपनी पार्टी के संगठन को चलाने के लिए और चुनाव लड़ाने के लिए अरबों खरबों रुपया लिया है।
लेकिन, उस रिपोर्ट में यह भी साफ है कि देश के अंदर बहुजन समाज पार्टी ही एक अकेली ऐसी पार्टी है, जिसने एक भी रुपया अपनी पार्टी के लिए नहीं लिया है। इतना ही नहीं, आप लोगों को यह भी मालूम है कि हमारी पार्टी कैसे संगठन चलाती है और कैसे चुनाव लड़ाती है। हमारी पार्टी दूसरी पार्टियों की तरह धन्नासेठों से अरबों खरबों रुपया लेकर संगठन नहीं चलाती है बल्कि हमारी पार्टी मेंबरशीप के जरिए जो रुपया आता है, या चुनाव के दौरान कार्यकर्ताओं से जो कुछ थोड़ बहुत धन मिलता है, उससे हमारी पार्टी अपने संगठन को चलाती है और चुनाव लड़ाती है।
इसके साथ ही अब ऐसा लगता है कि कांग्रेस की तरह अब बीजेपी भी केंद्र की तमाम जांच एजेंसियों का ज्यादातर दुरुपयोग कर राजनीतिकरण कर दिया है। वहीं, बीजेपी की सरकार में देश का किसान वर्ग शुरू से ही अपनी विभिन्न समस्याओं को लेकर दुखी और परेशान हैं। जबकि, यूपी में चार बार हमारी पार्टी की सरकार ने किसानों के हक का पूरा ध्यान रखा है। जब जब उत्तर प्रदेश में बसपा की सरकार बनी है तो हमारी पार्टी की सरकार ने किसानों को समय से और सस्ते साधन उपलब्ध कराए हैं। किसानों की फसल का भी हमारी सरकार ने उचित दाम दिया है।