एटीएम बदलने के लिए बुर्जुग पहला टारगेट
एटीएम बदलकर ठगी करने वालों के लिए बुजुर्ग पहला टारगेट होते हैं। बुर्जुग की मदद के बहाने एटीएम का पासवर्ड देख लेते हैं। इसके साथ बाद एटीएम बदल लेते हैं। इसके अलावा ठग गिरोह महिलाओ और किशोरों को भी एटीएम उपयोग करने का तरीका बताने के बहाने झांसे में लेते हैं। एटीएम कक्ष में कार्ड का उपयोग करते समय ठग शिकार की नजर बचाकर एटीएम की फोटो मोबाइल के जरिए खींच लेते हैं। ताकि एटीएम का 12 अंको का नंबर और सीवीसी नबंर मिल सके। ये दोनों नंबर मिलने के बाद विदेशी साइटों से ऑनलाइन शॉपिंग कर बैंक खाते से रकम निकाल ली जाती है। ठग गिरोह ऑनलाइन शॉपिंग के लिए विदेशी साइटों का इस्तेमाल इसलिए करते हैं,क्योकि उनमें पासवर्ड या ओटीपी के बजाए सीवीसी नंबर से खरीदी हो जाती है।
इन तरीकों से दे रहे झांसा
ठगी करने वाले गिरोह तरह-तरह के प्रलोभन देते हैं,ताकि लोग लालच में आकर उन्हें गोपनीय जानकारियां,कोड,एटीएम नंबर दे देते हैं। ज्यादातर मामलों में गिरोह द्वारा ऑनलाइन शॉपिंग कर ली जाती है। जिससे ठगी के रुपए वापिस नहीं आ पाते हैं। ठग गिरोह एटीएम बदलकर,बैंक अधिकारी बनकर गोपनीय जानकारी लेकर,एलआइसी या बीमा कंपनी का अधिकारी बनकर प्रक्रिया शुल्क के नाम पर,सोशल मीडिया पर फ्रेंड बनकर गिफ्ट भेजने के नाम पर,ऑनलाइन शॉपिंग में भारी डिस्कांउट के नाम पर,डेविट-क्रेडिट कार्ड से रिचार्ज पर रेवॉर्ड प्वॉइंट का झांसा देकर,फर्जी आयकर अधिकारी बनकर,मेट्रोमोनियल साइट्स पर शादी करवाने के नाम पर,विदेश भेजने और नौकरी दिलाने के नाम पर,मोबाइल टावर लगवाने के नाम पर ठगी करते हैं। इसके अलावा नोटों का बंडल गिराकर ध्यान भटकाकर,जेवर चमकाने के बहाने और बीमारियों व परेशानियों का समाधान करने के नाम पर झांसा देते हैं।
अपनाएं ये सावधानियां
किसी का भी फोन पर आने पर एटीएम कार्ड का नंबर न बताएं,न एटीएम का सीवीसी नंबर किसी को दें। एटीएम की वैलिडिटी और ओटीपी किसी भी सूरत में किसी से न बताएं। एटीएम का इस्तेमाल करते समय एटीएम कक्ष में किसी अनजान की मदद न लें। एटीएम पासवर्ड किसी को न बताएं और न नबंर डालते समय किसी को देखने दें। एटीएम का इस्तेमाल करते समय कोई परेशानी हो तो बैंक के टोल फ्री नंबर का उपयोग करें। किसी अनजान से मदद न लें। एटीएम का पिन बदलते रहें। बैंक खाते से ट्रांजेक्शन की एसएमएस सेवा जरूर लें,ताकि आपके खाते से रुपए निकाले जाने की जानकारी तुंरत मिले और आपके द्वारा ट्रांजेक्शन नहीं किया गया है,तो बैंक से तत्काल संपर्क करना चाहिए। आपने बीमा कराया है तो उसकी मेच्यूरिटी पूरी होने पर कोई अनजान कॉल आए तो,संबंधित शाखा से संपर्क करें,फोन पर गोपनीय जानकारियां नहीं देना चाहिए।
अगर फ्रॉॅड हो जाए,तो ये करें
कार्ड या उसकी जानकारी चोरी होने,ऑफलाइन या ऑनलाइन ट्रांजेक्शन होने पर कार्ड देने वाले बैंक से तुरंत संपर्क करें। बैंक के कस्टमर केयर नबंर पर कॉल करके कार्ड को ब्लॉक कराएं। इसके बाद बैंक को मेल या पत्र लिखकर पूरी जानकारी दें, उसकी कॉपी अपने पास रख लें। जल्द से जल्द नजदीकी पुलिस स्टेशन में अवैध ट्रांजेक्शन की एफआइआर दर्ज कराना चाहिए। ठगी की राशि अगर वॉयलेट पर है तो वापसी की संभावना ज्यादा होती है। लेकिन इसके लिए तत्काल पुलिस और बैंक से संपर्क करना चाहिए। अगर आपका बैंक इस बारे में एक हफ्ते में जवाब नहीं देता तो आप नोडल अधिकारी से संपर्क करें। बैंक से 30 दिनों में कोई जवाब नहीं मिलता तो रिजर्व बैंक से संपर्क करना चाहिए। अगर आरबीआइ से भी समस्या का समाधान नहीं निकलता तो कोर्ट की मदद ले सकते हैं।