ये हैं छतरपुर जिले के बड़े सहकारी घोटाले
सेवा सहकारी समिति सेंधपा में खाद, क्रेडिट कार्ड और ऋण माफी के नाम पर लाखों रुपए का घोटाला हुआ। इस घोटाले की जांच लोकायुक्त भोपाल में की गई। लोकायुक्त एसपी ने मामले की जांच संयुक्त पंजीयक सहकारिता से कराई। जांच में सिद्ध हो गया कि समिति प्रबंधक ने 74 लाख 86 हजार 460 रुपए का घोटाला किया है। इसके अलावा सहकारी बैंक ईशानगर शाखा में किसान ऋण माफी योजना के नाम पर 3 करोड़ 74 लाख 85 हजार रुपए फर्जी तरीके से निकालने का मामला सामने आया है. इस घोटाले में बैंक मैनेजर की शिकायत पर तत्कालीन बैंक मैनेजर समेत 8 लोगों पर मामला दर्ज हुआ है। ऐसे ही भोपाल की जांच में डिकौली सोसायटी प्रबंधक हरिओम अग्निहोत्री पर एक करोड़, सेंधपा सोसायटी के जाहर सिंह पर एक करोड़ का घोटाला किए जाने की बात सामने आई थी। वहीं बीरो समिति प्रबंधक भानू प्रताप अवस्थी द्वारा साढ़े 5 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया था। बकस्वाहा में 18 कृषक सदस्यों की 24 लाख 55 हजार की राशि ऋण वितरण की कार्रवाई की गई। इनमें 11 सदस्य भूमिहीन एवं 7 सदस्य के पास बहुत ही अल्प रकबा होते हुए साजिश कर ऋण स्वीकृत करने का घोटाला सामने आने पर एफआईआर और आरोपी मैनेजर समेत कर्मचारियों की गिरफ्तारी हुई है। बकस्वाहा में ही सहकारी बैंक के अधिकारियों ने कूटरचित दस्तावेज तैयार कर और फर्जी खाते खोल कर पदनाम की सील बनाकर 97 लाख 92 हजार रुपए की राशि का गबन किया गया। इसी बकस्वाहा में फर्जी खाते खोले जाने के अलावा बकस्वाहा सहकारी बैंक में दुग्ध समिति के नाम पर 15 लाख रुपए का लोन निकाले जाने का घोटाला भी सामने आया था।
सबसे ज्यादा घाटा सीधी के बैंक में
नाबार्ड मुख्यालय मुंबई ने प्रदेश के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक सीधी की आर्थिक हालत चिंताजनक है। वित्तीय स्थिति में सुधार के उपाय शुरू नहीं होते तो भारतीय रिजर्व बैंक को लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश की जा सकती है। पत्र की जानकारी वित्त विभाग ने एसीएस सहकारिता विभाग को दी है। नाबार्ड ने वित्त विभाग को भेज पत्र में लिखा है कि जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित सीधी 546.96 रुपए करोड़ के घाटे में है। वहीं, शिवपुरी बैंक में 2 साल पहले 100 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ था। यहां पर पदस्थ एक चपरासी ने कैशियर की भूमिका निभाते हुए 100 करोड़ रुपए के घोटाले को अंजाम दिया। इस घोटाले की अभी जांच चल रही है और कुछ लोगों की गिरफ्तारी हुई है।
सरकार के प्रावधान की नहीं मिली राशि
नाबार्ड ने सहकारी बैंकों की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं होने पर रिजर्व बैंक से ऐसे बैंकों के लाइसेंस निरस्त करने की सिफारिश करने की चेतावनी दी है। इस पर अपेक्स बैंक ने सरकार को अंश पूंजी के नाम पर एक हजार करोड़ और उपार्जन के बकाया 600 करोड़ रुपए की डिमांड भेजी है। राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में सहकारी बैंकों को घाटे से उबारने के लिए एक हजार करोड़ रुपए की अंश पूंजी देने का प्रावधान किया है, लेकिन यह राशि सात माह बाद भी नहीं मिली है। इसलिए अब अपेक्स बैंक ने शासन को डिमांड प्रस्ताव भेजा है।
विगत 15 वर्षों से सुधार के प्रयास, लेकिन नतीजा शून्य
पिछले 15 वर्षों से सहकारिता विभाग इन सहकारी बैंकों की स्थिति सुधारने का प्रयास कर रहा है, लेकिन घोटालों और वित्तीय अनुशासन की कमी के कारण यह प्रयास सफल नहीं हो पाए हैं। बैंक में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के मामलों ने सहकारी क्षेत्र में विश्वसनीयता को क्षति पहुंचाई है।
इनका कहना है
नाबार्ड ने घाटे में चल रहे बैंकों का लाइसेंस निरस्त करने रिजर्व बैंक को पत्र लिखा है। सरकार ने इस साल एक हजार करोड़ देने का प्रावधान किया है। राशि के लिए प्रपोजल शासन को भेजा गया है।
मनोज कुमार गुप्ता, महाप्रबंधक, अपेक्स बैंक