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Bilaspur High Court: 4 नगरीय निकाय के वार्डों के परिसीमन पर लगी रोक, हाईकोर्ट ने जारी किया आदेश

Bilaspur High Court News Update: कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि वर्ष 2011 की जनगणना आधार पर तीसरी बार परिसीमन कराने की जरूरत क्यों पड़ रही है।

बिलासपुरJul 26, 2024 / 12:36 pm

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Bilaspur High Court News: हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में राजनांदगांव, कुम्हारी, बेमेतरा और तखतपुर नगरीय निकाय के वार्डों के परिसीमन पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब तलब करते हुए एक सप्ताह बाद अगली सुनवाई तय की है। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि वर्ष 2011 की जनगणना आधार पर तीसरी बार परिसीमन कराने की जरूरत क्यों पड़ रही है।
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बता दें कि राजनांदगांव नगर निगम, कुम्हारी नगर पालिका और बेमेतरा नगर पंचायत के कांग्रेस पार्षदों ने उक्त तीनों जगहों पर चल रही वार्ड परिसीमन की प्रक्रिया को चुनौती दी थी। तीनों याचिकाओं की प्रकृति समान होने के कारण कोर्ट ने तीनों याचिकाओं की एक साथ सुनवाई की। जस्टिस पीपी साहू की सिंगल बेंच में याचिकाकर्ताओं की ओर से तर्क दिए गए कि राज्य सरकार ने प्रदेशभर के निकायों के वार्ड परिसीमन के लिए जो आदेश जारी किया है उसमें वर्ष 2011 की जनगणना को आधार माना है। इसी आधार पर परिसीमन शुरू कर दिया गया है।

पूरे प्रदेश में परिसीमन पर लटकी तलवार

कोर्ट के तीन निकायों में दिए स्थगन के बाद माना जा रहा है कि इस आधार पर और भी निकायों की ओर से इस मुद्दे पर याचिका दायर की जा सकती है। बिलासपुर सहित कुछ और निकायों को लेकर याचिका दायर करने की तैयारी कांग्रेस द्वारा की जा रही है। इससे अन्य जगहों के परिसीमन पर भी रोक लगने की संभावना बन रही है।
bilaspur high court

याचिकाकर्ताओं के ये तर्क

याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने कोर्ट में तर्क दिया कि राज्य सरकार ने अपने सर्कुलर में परिसीमन के लिए अंतिम जनगणना को आधार माना है। राज्य सरकार इसके पहले वर्ष 2014 और 2019 में भी वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर परिसीमन कर चुकी है। जब आधार एक ही है तो इस बार फिर क्यों परिसीमन किया जा रहा है। तर्कों से सहमति जताते हुए कोर्ट ने कहा कि वर्ष 2011 के बाद जनगणना हुई नहीं है। तो फिर उसी जनगणना को आधार मानकर तीसरी बार परिसीमन कराने की जरूरत क्यों पड़ रही है।

सरकार के तर्कों से कोर्ट सन्तुष्ट नहीं

कोर्ट के सवालों का जवाब देते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारियों ने कहा कि परिसीमन मतदाता सूची के आधार पर नहीं जनगणना को ही आधार मानकर किया जा रहा है। परिसीमन से वार्डों का क्षेत्र और नक्शा बदल जाएगा। सरकारी वकीलों के तर्कों से कोर्ट ने असमति जताई। कोर्ट ने उनसे पूछा कि वर्ष 2011 की जनगणना को आज के परिप्रेक्ष्य में आदर्श कैसे मानेंगे?
एक ही जनसंख्या के आधार पर दो बार परिसीमन के बाद फिर परिसीमन कराने का कोई कारण नहीं बनता और ना ही कोई औचित्य है। कोर्ट ने आपत्तियों के निराकरण और अधिसूचना जारी करने पर रोक लगा दी है। याचिकाकर्ताओं की ओर से पूर्व महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा,अमृतो दास, रोशन अग्रवाल,राज्य की ओर से प्रवीण दास, उप महाधिवक्ता विनय पांडेय और नगर पालिका कुम्हारी की तरफ से पूर्व उप महाधिवक्ता संदीप दुबे ने पैरवी की।

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