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यहां शहीद सैनिकों की आत्माएं करती हैं हिफाजत चार दशक से अधिक समय से यहां देशभक्ति से ओतप्रोत तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। खास बात यह है कि फाजिल्का के जिला बनने क बाद स्वतंत्रता व गणतंत्र दिवसों पर राजकीय कार्यक्रमों में ध्वजारोहण करने के लिए आने वाले पहले आसफवाला के स्मारक पर आकर श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं। इसके बाद ही सकरकारी कार्यक्रमों में शामिल होते हैं। शहीदी मेले तथा विजय दिवस पर यहां वरिष्ठ राजनेता, सैन्य अधिकारी, वरिष्ठ उच्च प्रशासिनक अधिकारी, सैनिक, गणमान्य लोग, शहीदों के परिजन तथा बड़ी संख्या में आम जन आते हैं।
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शहादत व शौर्य की गाथा सुनाता है मंदिर पिछले कुछ साल से वार्षिक विजल दिवस पर विद्यार्थियों की मैराथन दौड़ यहां खास आकर्षण और प्रेरणा का स्त्रोत बन चुकी है। स्मारक परिसर में में निर्मित कम्युनिटी सेंटर में
भारतीय सेना के अमोघ डिवीजन तथा शहीदों की समाधि कमेटी ने सीमावर्ती ग्रामीण लड़कियों के लिए एक कम्प्यूटर ट्रेनिंग सेंटर भी स्थापित किया है। इसका शुभारंभ 25 जुलाई 2012 को किया गया था। यह कम्प्यूटर ट्रेनिंग सेंटर ग्रामीण लड़कियेां के लिए उपयोगी साबित हो रही है।
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यहां शहादत के किस्से जगाते हैं देशभक्ति का जज्बा इसमें लड़कियों को कम्प्यूटर की मौलिक शिक्षा तथा ज्ञान नि:शुल्क दिया जा रहा है। पांच एकड़ के इस युद्ध स्मारक में प्राइमरी स्कूल व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भी संचालित हो रहा है। खास बात तो यह है कि स्मारक प्रांगण में हरे-भरे पेड़ों तथा आकर्षक फूलों वाले सुंदर मैदान हैं। शहीद दृगपाल सिंह स्मृति पार्क में दर्शनीय स्थल हैं। विजय दिवस व शहीदी मेले से संबंधित कार्यक्रम इसी पार्क में होते हैं।