यह कॉलोनी कालूवाला गांव के समीप पटरी से पहले बसी हुई है, जिसमें करीब 30 परिवार रहते हैं। यहां बाजीगर परिवार जीवनयापन कर रहे हैं। ये सालों से यहां बस रहे हैं लेकिन न तो इन्हें पट्टे मिले और न ही किसी योजना में कोई सहायता मिल पाई है। इस कॉलोनी के सभी परिवार शौच करने के लिए करीब सात-आठ फीट ऊंची रेलवे पटरियों को पार कर दूसरी तरफ जाते हैं। यहां पहले रेलवे फाटक था, ट्रेन आने के समय यह फाटक बंद होता तो लोगों को ट्रेन आने का पता लग जाता। ओवरब्रिज बनने पर यह फाटक हटा दिया जिससे पटरियां पार करते हादसे होने लगे हैं। इस जगह आए दिन पशु ट्रेन की चपेट में आते रहते हैं।
स्कूल जाने के लिए पटरी पार करते हैं बच्चे
पटरी के इस तरफ कोई सरकारी विद्यालय नहीं होने के कारण इन परिवारों के बच्चों को कालूवाला गांव में स्थित राजकीय विद्यालय में पढऩे के लिए जाना पड़ता है। ये बच्चे भी पटरी पार करके ही स्कूल जाते हैं। ऐसे में उनके परिजनों हादसे का भय सताता रहता है।
पति-पत्नी की एक साथ अंत्येष्टि
मृतक मनोहरी व उसके पति हंसराज का सोमवार सुबह सदर पुलिस ने राजकीय चिकित्सालय में पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सौंप दिया। परिजनों ने दोनों की एक साथ अंत्येष्टि कर दी। मौत को लेकर कॉलोनी में कोहराम मच गया। मृतकों के बच्चों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। मृतक की आर्थिक हालात काफी दयनीय है। दो बेटों के सिर से माता-पिता का साया उठ गया। हादसे के बाद कॉलोनी में मातम छाया हुआ है।