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श्री गंगानगर

इस खिलाड़ी ने ओलंपिक में 64 देशों को पीछे छोड़ जीता था गोल्ड मेडल, अब कर रहा मनरेगा में मजदूरी

करीब डेढ़ दशक पूर्व चीन के शंघाई में हुए स्पेशल ओलंपिक में 164 देशों को पीछे छोड़ भारत की झोली में स्वर्ण पदक डालने वाला खिलाड़ी न सिर्फ बदहाली में जीने को मजबूर है।

श्री गंगानगरSep 18, 2022 / 01:24 pm

Kamlesh Sharma

Olympics gold medalist Rajesh Verma working in MGNREGA at Sri Ganganag

करीब डेढ़ दशक पूर्व चीन के शंघाई में हुए स्पेशल ओलंपिक में 164 देशों को पीछे छोड़ भारत की झोली में स्वर्ण पदक डालने वाला खिलाड़ी न सिर्फ बदहाली में जीने को मजबूर है।

श्योपत चौहान/लाधूवाला (श्रीगंगानगर)। करीब डेढ़ दशक पूर्व चीन के शंघाई में हुए स्पेशल ओलंपिक में 164 देशों को पीछे छोड़ भारत की झोली में स्वर्ण पदक डालने वाला खिलाड़ी न सिर्फ बदहाली में जीने को मजबूर है, बल्कि मनरेगा में मजदूरी कर गुजारा चला रहा है। यह कहानी है, जिले के लाधूवाला गांव के साइक्लिस्ट राजेश वर्मा की।

सन 2007 में चीन के शंघाई में आयोजित विशेष ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए राजेश वर्मा ने साइकिल रेस में 164 देशों के खिलाड़ियों को हराकर देश को सिरमौर बनाया था। तब उसकी जीत का जश्न हर जगह मनाया गया था।

राजेश के लिए उस समय राज्य सरकार ने कई घोषणाएं करते हुए सरकारी नौकरी के साथ खिलाड़ियों को मिलने वाली अन्य सहायता देने वादा किया था। इसके बावजूद आज राजेश वर्मा खाली हाथ है। बार-बार मुख्यमंत्री और अधिकारी-कर्मचारियों के पास चक्कर काटने के बाद भी उसे कहीं से किसी प्रकार की सहायता नहीं मिली है।

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रफ्तार का जादूगर…मेडल खूंटी पर
राजेश को गांव वाले बुधिया या रफ्तार का जादूगर कहते हैं। चित्तौड़गढ़ में पहला मेडल जीतने के बाद बरेली, उत्तर प्रदेश में उसने 8.30 मिनट में 10 किलोमीटर साइकिल चलाई। इससे विशेष ओलंपिक के लिए चयन हुआ, जहां स्वर्ण पदक जीता। जब सरकार से प्रोत्साहन और सहायता नहीं मिली तो उसने खेल से मुंह मोड़ लिया। अब राजेश के जीते हुए 25 गोल्ड मेडल घर में खूंटी पर टंगे हैं।

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तब मनाया गया था देशभर में जश्न
राजेश के पिता धनाराम वर्मा ने बताया कि राजेश की जीत पर श्रीगंगानगर में रैली निकली थी। उन्होंने वसुंधरा राजे व तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत को तब की घोषणाएं याद दिलाईं। अब मजबूरन राजेश मनरेगा में मजदूरी करता है।

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