scriptVideo: बच सकती थी चार वर्षीय बालिका शीया की जान | Life of four-year-old girl, Sheya, could have survived | Patrika News
श्री गंगानगर

Video: बच सकती थी चार वर्षीय बालिका शीया की जान

यदि इस फाइल को निपटाकर वहां नाले पर फैरो कवर को लगाया होता तो इस नन्ही सी जान को बचाया जा सकता था। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।

श्री गंगानगरFeb 28, 2018 / 08:36 am

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यदि इस फाइल को निपटाकर वहां नाले पर फैरो कवर को लगाया होता तो इस नन्ही सी जान को बचाया जा सकता था।

श्रीगंगानगर.

गंदे पानी की निकासी के लिए बने नालों को खुला छोडऩे से पुरानी आबादी श्यामनगर की चार वर्षीय शिया की डूबने से मौत हो गई, इस बालिका की मौत की जिम्मेदार नगर परिषद प्रशासन अपना पल्ला झाड़ लिया है। लेकिन परिषद ने एक साल पहले नालों को कवर करने के लिए ठेका देने की प्रक्रिया की फाइल को एक शाखा से दूसरी शाखा तक पहुंचाने में इतनी देर कर दी कि यह निर्माण शुरू होने से पहले ही एक बालिका को अपनी जान गंवानी पड़ी। यदि इस फाइल को निपटाकर वहां नाले पर फैरो कवर को लगाया होता तो इस नन्ही सी जान को बचाया जा सकता था। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
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परिषद आयुक्त सुनीता चौधरी ने अपने विभाग की गलती की बजाय यह नाला जल संसाधन विभाग का कहकर बचाव कर लिया। लेकिन जब परिषद की निर्माण शाखा में इस नाले के संबंध में फाइलों को पत्रिका टीम ने जब खंगाला तो वहां हकीकत अलग मिली। नगर परिषद प्रशासन ने पिछले साल शहरी क्षेत्र में फैरो कवर सप्लाई का कार्य के संबंध में निविदा जारी की थी। 24 मार्च 2017 को आयुक्त और सभापति के हस्ताक्षरयुक्त जारी इस टैण्डर में परिषद क्षेत्र में एक करोड़ रुपए के बजट से निर्माण कार्यो का हवाला दिया गया था। इसमें सबसे पहले शहरी क्षेत्र में फैरो कवर की सप्लाई के एवज में दस लाख रुपए के लिए निविदा मांगी गई थी।
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इस निर्माण कार्य की समय अवधि तीन महीने की निर्धारित की गई थी। लेकिन लेखा शाखा ने वर्क ऑर्डर के दौरान ठेकेदार की ओर से दिए गए रेट पर अड़चन डाल दी गई, इसे दुरुस्त कराने की बजाय यह फाइल लेखा शाखा से बाहर नहीं आई, तीन महीने पहले यह फाइल निर्माण शाखा में फिर से आ गई।
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यह थी वजह:

कम रेट पर कमीशन का बोझ ठेकेदारों की माने तो जिस ठेका फर्म ने यह निर्माण कार्य कराने के लिए हामीभरी थी, तब उसे निर्धारित बीएसआर के 28 प्रतिशत कम रेट पर देने के लिए नगर परिषद प्रशासन करवाना चाहता था, इसके अलावा लेखा शाखा और निर्माण शाखा से निर्माण कार्यो के बिल बनाने और पास कराने के एवज में 22 प्रतिशत कमीशन देना पड़ता है। ऐसे में 50 प्रतिशत राशि तो निर्माण कार्य से पहले खत्म हो जाती है। शेष पचास प्रतिशत में किस स्तर की गुणवत्ता आएगी, यह जगजाहिर है। ठेकेदारों का आरोप है कि रिश्वत की कार्रवाई होने के बावजूद परिषद कैम्पस में कमीशन का खेल अब तक बंद नहीं हो पाया है। लंबे समय से लेखा शाखा में वे ही बाबू और अधिकारी है जो काफी समय पहले परिषद में आए थे, उनको अलग शाखा या काम की जिम्मेदारी तक नहीं दी गई है। इस खेल में पार्षदों की चुप्पी संदेहास्पद नजर आती है।
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पार्षद का आरोप, नहीं सुनी गुहार

पिछले साल नगर परिषद बोर्ड की बैठक के दौरान इस नाले को कवर करने की गुहार की गई थी। यहां तक कि सभापति के अलावा आयुक्त को भी लिखित में अवगत कराया था लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। करीब चार से पांच फीट गहरे इस नाले में श्यामनगर की चार वर्षीय बालिका शिया की मौत के बावजूद परिषद के अलावा जिला प्रशासन ने सबक नहीं लिया है। अगले महीने तक यह निर्माण नहीं हुआ तो पूरे इलाकेवासियों के लिए आंदोलन किया जाएगा।
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रेट के कारण बनी अड़चन

यह सही है कि नालों को कवर करने के लिए पिछले साल टैण्डर किए गए थे। कवर करने के लिए जिस फर्म ने निविदा दी थी, उसके साथ निर्धारित कीमतों के लिए अड़चन आ गई। इस कारण लेखाधिकारी ने यह अनुमति नहीं दी। वैसे यह नाला परिषद की बजाय सिंचाई विभाग का है। बच्ची की मौत के बाद इस नाले को दुरुस्त कराने के लिए अब गंभीर कदम उठाए जाएंगे। – सुनीता चौधरी, आयुक्त नगर परिषद

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