फसलों पर प्रभाव
इस समय खेतों में रबी की फसलें, जैसे गेहूं, सरसों और जौ, मुख्य रूप से तैयार हो रही हैं। इन फसलों को अच्छी पैदावार के लिए ठंडे और नम मौसम की आवश्यकता होती है।गेहूं: गेहूं और जौ की फसल को नमी और ठंडी हवा की आवश्यकता होती है। ज्यादा धूप से यह जल्दी सूखने लगती है। ङ्क्षसचाई की कमी से उपज में गिरावट आ सकती है।
सरसों: सरसों की फसल को भी ठंडा मौसम और हल्की ओस की जरूरत होती है। हालांकि सरसों की फसल पर इसका तापमान बढऩे पर असर ज्यादा नहीं होता फिर भी फूल झडऩे, कम उपज होने की समस्या बनी रहती है।
चना: ये फसलें भी नमी और सर्दी में बेहतर परिणाम देती हैं।
बदलाव का ये है कारण
विशेषज्ञों का मानना है कि मौसम में हो रहे इन बदलावों का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन है। गलोबल वॉर्मिंग के कारण सर्दियों का समय और उसका असर लगातार बदल रहा है। औद्योगिक गतिविधियों से बढ़ रहा प्रदूषण भी जलवायु पर असर डाल रहा है। पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक स्तर पर तापमान में वृद्धि हुई है, जिसका असर ग्रामीण इलाकों में भी दिख रहा है।वर्जन…
इस मौसम में फसलों के लिए ठंडा और नियंत्रित तापमान अधिक अनुकूल होता है, जबकि गर्म मौसम उनकी वृद्धि और उत्पादन को बाधित करता है। तेजी से बढ़ रहे तापमान ने गेहूं और जौ फसल की वृद्धि को प्रभावित किया है। इस स्थिति में दानों का आकार छोटा रह सकता है, जिससे उत्पादन में गिरावट हो सकती है। सरसों की फसल में इतना असर नहीं होता है जबकि अन्य फसलें ठंडे मौसम में बेहतर उत्पादन देती है।-राजेंद्र अरोड़ा, सहायक कृषि अधिकारी, केसरीसिंहपुर।