scriptजनवरी में अधिक तापमान ने बढ़ाई किसानों की चिंता; गेहूं, जौ और सरसों की फसलों पर संकट | High temperature in January has increased the concern of farmers, wheat, barley and mustard crops are in danger | Patrika News
श्री गंगानगर

जनवरी में अधिक तापमान ने बढ़ाई किसानों की चिंता; गेहूं, जौ और सरसों की फसलों पर संकट

-मौसम में यही स्थिति बनी रही तो उपज पर पड़ सकता है नकारात्मक असर

श्री गंगानगरJan 24, 2025 / 09:50 pm

महेंद्रसिंह शेखावत

-मौसम में यही स्थिति बनी रही तो उपज पर पड़ सकता है नकारात्मक असर

केसरीसिंहपुर.एक खेत में उगी सरसों की फसल और तपता सूरज।

केसरीसिंहपुर. इस साल जनवरी में मौसम में असामान्य बदलाव देखा जा रहा है। पिछले 4 दिन से तेज धूप निकलने से तापमान बढ़ रहा है। शुक्रवार को भी पूरे दिन तेज धूप खिली रही, जिससे सर्दी में कमी महसूस की गई। आमजन को भले ही इस बदलाव से राहत मिली हो, लेकिन किसानों के लिए यह ङ्क्षचता का कारण बन गया है।
सर्दियों का यह मौसम रबी की फसलों के लिए महत्वपूर्ण होता है और ठंड की कमी से फसलों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। पिछले साल की तुलना में इस बार जनवरी के महीने में तापमान ज्यादा है। जनवरी का महीना ठंडा होता है और ओस के कारण फसलों को प्राकृतिक नमी मिलती है। लेकिन इस बार धूप के कारण न केवल ओस कम हो रही है, बल्कि सर्दी की कमी ने किसानों को भी हैरानी में डाल दिया है। जनवरी में सामान्यत: जहां तापमान 15-16 डिग्री के आसपास होता है, इस बार यह 20 डिग्री से अधिक दर्ज किया गया। यह असामान्य वृद्धि गेहूं, जौं, चना व सरसों इत्यादि रबी फसलों के लिए नुकसान का कारण बन रही है।
किसानों का कहना है कि अगर जनवरी के अंतिम सप्ताह व फरवरी के प्रथम सप्ताह तक मौसम में यही स्थिति बनी रही, तो उपज पर नकारात्मक असर पड़ सकता है, जिससे किसानों की आय पर भी प्रभाव पड़ेगा। किसानों का कहना है कि पहले ही उर्वरक, बीज और डीजल की कीमतें बढऩे से खेती महंगी हो गई है। अब मौसम की मार ने उनकी ङ्क्षचताएं और बढ़ा दी हैं। जोधेवाला के किसान अमृत पाल ङ्क्षसह बराड़, चक 20 एफ के अमनदीप ङ्क्षसह कहते हैं कि नहरों में पानी की कमी के चलते पर्याप्त ङ्क्षसचाई नहीं हो पाती है। अगर समय पर बारिश नहीं होती या तापमान अचानक बढ़ता है, तो फसलें खराब हो जाती हैं। इसका नुकसान किसानों को उठाना पड़ सकता है।

फसलों पर प्रभाव

इस समय खेतों में रबी की फसलें, जैसे गेहूं, सरसों और जौ, मुख्य रूप से तैयार हो रही हैं। इन फसलों को अच्छी पैदावार के लिए ठंडे और नम मौसम की आवश्यकता होती है।
गेहूं: गेहूं और जौ की फसल को नमी और ठंडी हवा की आवश्यकता होती है। ज्यादा धूप से यह जल्दी सूखने लगती है। ङ्क्षसचाई की कमी से उपज में गिरावट आ सकती है।
सरसों: सरसों की फसल को भी ठंडा मौसम और हल्की ओस की जरूरत होती है। हालांकि सरसों की फसल पर इसका तापमान बढऩे पर असर ज्यादा नहीं होता फिर भी फूल झडऩे, कम उपज होने की समस्या बनी रहती है।
चना: ये फसलें भी नमी और सर्दी में बेहतर परिणाम देती हैं।

बदलाव का ये है कारण

विशेषज्ञों का मानना है कि मौसम में हो रहे इन बदलावों का मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन है। गलोबल वॉर्मिंग के कारण सर्दियों का समय और उसका असर लगातार बदल रहा है। औद्योगिक गतिविधियों से बढ़ रहा प्रदूषण भी जलवायु पर असर डाल रहा है। पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक स्तर पर तापमान में वृद्धि हुई है, जिसका असर ग्रामीण इलाकों में भी दिख रहा है।

वर्जन…

इस मौसम में फसलों के लिए ठंडा और नियंत्रित तापमान अधिक अनुकूल होता है, जबकि गर्म मौसम उनकी वृद्धि और उत्पादन को बाधित करता है। तेजी से बढ़ रहे तापमान ने गेहूं और जौ फसल की वृद्धि को प्रभावित किया है। इस स्थिति में दानों का आकार छोटा रह सकता है, जिससे उत्पादन में गिरावट हो सकती है। सरसों की फसल में इतना असर नहीं होता है जबकि अन्य फसलें ठंडे मौसम में बेहतर उत्पादन देती है।
-राजेंद्र अरोड़ा, सहायक कृषि अधिकारी, केसरीसिंहपुर।

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