शिक्षा और नैतिक मूल्यों का विकास जरूरी
-देशभर से लगभग 300 प्रतिभागी शामिल हुए,शिक्षात्मक, सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर हुआ गहन विचार-विमर्श
- श्रीगंगानगर.चौधरी बल्लूराम गोदारा राजकीय कन्या महाविद्यालय में साहित्यिक समिति के तत्वावधान में विकसित भारत विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी हुई। इसमें देशभर से लगभग 300 प्रतिभागी शामिल हुए। शिक्षात्मक, सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श हुआ, जिसमें राजस्थान सहित दिल्ली, मध्य प्रदेश, पंजाब जैसे राज्यों से विद्वान शामिल हुए।
- महाविद्यालय प्राचार्य प्रो.पूनम सेतिया ने अतिथि और प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि विकास हमारे व्यक्तित्व और शिक्षा का प्रतिबिम्ब होना चाहिए। उन्होंने संगोष्ठी के उद्देश्यों को स्पष्ट किया। उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के कुलाधिपति डॉ. के एल बैरवाल ने कहा कि विकसित भारत के लिए शिक्षा और नैतिक मूल्यों का विकास अनिवार्य है।
शैक्षणिक गतिविधियों की महत्वपूर्ण भूमिका
- मुख्य वक्ता अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. नारायण लाल गुप्ता ने पंचप्रण के संदर्भ में विचार रखे। उन्होंने विश्वास और इच्छाशक्ति को विकसित भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण कारक बताया। उद्घाटन समारोह में सांस्कृतिक और शैक्षणिक गतिविधियों की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी जोर दिया गया। प्रो. श्यामलाल ने संगोष्ठी की रूपरेखा प्रस्तुत की तथा आइक्यूएसी समन्वयक प्रो. कमलजीत मान ने अतिथियों का स्वागत किया। विशिष्ट अतिथि डॉ. बीआर आंबेडकर राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.बलवंत सिंह चौहान और उद्योगपति रवि कुमार गुप्ता ने भी विचार रखे।
संगोष्ठी तीन तकनीकी सत्रों में हुई
- प्रथम तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय से प्रो. विनोद कुमार गर्ग और सत्र अध्यक्ष राजकीय महाविद्यालय श्रीगंगानगर से प्रो. नवज्योत भनोत थीं। इस सत्र का संचालन डॉ. आशाराम भार्गव ने किया। द्वितीय तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता राजकीय महाविद्यालय चूरू से प्रो. सुरेन्द्र डी सोनी और सत्र अध्यक्ष राजकीय विधि महाविद्यालय श्रीगंगानगर के प्राचार्य प्रो. विश्वनाथ सिंह थे। इस सत्र का संचालन डॉ. अलका ने किया। तृतीय तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली से प्रो. राजेश कुमार जांगिड़ और सत्र अध्यक्ष पूर्व प्राचार्य डॉ. प्रदीप कुमार मोदी थे। इस सत्र का संचालन डॉ. मोनिका कटारिया ने किया। समापन सत्र में मुख्य अतिथि पूर्व प्राचार्य डॉ. राम सिंह राजावत ने कहा भारत ऐतिहासिक रूप से वैभव सम्पन्न देश रहा है और विभिन्न रचनाकारों ने भारत के वैभव का वर्णन किया है।
संगोष्ठी में गहन विचार-विमर्श किया
- संगोष्ठी के संयोजक मनोज बजाज ने प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। आयोजन सचिव डॉ. सुरेन्द्र शर्मा ने अतिथियों का आभार जताया। इस अवसर पर विभिन्न महाविद्यालयों से आए शिक्षक शोधार्थियों के साथ महाविद्यालय के शिक्षक, आयोजक मंडल में डॉ. मधु वर्मा, वरिष्ठ संकाय सदस्य प्रो. इंद्रा सहारण, प्रो. बबीता काजल, प्रो. मीनू तंवर, रेखा बेरवाल, प्रो. सुनील कुमार, सोहनलाल की अहम भूमिका रही।
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