वहीं बाटला से सुबह चार बजे खच्चर पर खत्री की पत्नी अनू उर्फ देविका कोचर, मोहनलाल वधवा, वधवा की पत्नी सुनीता और वधवा की भतीजी आदि रवाना हुए। वधवा दंपती का काफिला दोपहर करीब ढाई बजे अमरनाथ पहुंच चुका था जबकि उनका जत्था शाम पांच बजे बजे था। थकान इतनी अधिक थी कि भंडारे के पास जाकर आराम करना चाहा तो वहां से कैम्प में जाकर आराम करने की सलाह दी गई। ऐसे में सुशील खत्री सहित तीन चार जने कैम्प में जाकर आराम करने के लिए चले गए। वहीं हैलीपैड की ओर से निखिल सहित कई जने वहां टहल रहे थे।
इतने में गुफा के पास पहाड़ से बादल फटा और एकाएक जोरदार पूरे रफ्तार से पानी बहने लगा। यह पानी इतना अधिक तेज था कि अपने साथ पत्थर भी तोडकऱ ला रहा था। वहां एकाएक खलबली मच गई। आर्मी के लोग बार बार लोगों को दूर जाने की हिदायत देते रहे। लेकिन जब तक लोग संभलते तब तक यह जलजला कईयों को अपने आगोश में ले चुका था।
खत्री का बेटा निखिल करीब आधा घंटे बाद मिला वह अपने पापा के बारे में पूछ रहा था। करीब एक घंटे तक खत्री के मोबाइल फोन से संपर्क करने का प्रयास भी किया लेकिन कोई जवाब नहीं आया। सूचना आई कि खत्री की मौत हो चुकी है, यह सुनकर पांव से खिसक गई। कुछ देर बाद फिर सूचना मिला कि सुनीता वधवा भी हादसे का शिकार हो गई। वहां यह खौफनाक मंजर और दिल दिहलाने वाला दूश्य मेरी आंखों में कैद हो गया।
रात भर गीले कपड़े में बिताई रातबरसात रुकने का नाम नहीं ले रही थी। आठ जुलाई की रात पूरे उम्रभर याद रहेगी। बरसात से पहने हुए कपड़े भीग चुके थे। साथ में जो बैग आदि सामान था वह कैम्प के साथ बह चुका था। ऐसे में सर्दी शरीर पर चढने लगी।
रात भर गीले कपड़े में वह भी इस ठठुरती ठंड में निकालना मुश्किल हो गया। ऐसे में आर्मी के जवानों ने उस जैसे वहां बेसहारा की हालत में दुबके लोगों की मदद के लिए बोले कि आपको रात तो निकालनी होगी किसी भी तरह। सुबह आपको वापस बाटला पहुंचा दिया जाएगा। वहां आर्मी ने डीजल डालकर गीली लकडिय़ों में आग लगाई ताकि इस अलाव से मेरे जैसे लोग वहां रात निकाल सके। इसके सिवाय कोई चारा नहीं था।
इस चश्मदीद साक्षी का कहना था कि अमरनाथ में जिस बहाव क्षेत्र में बरसात आई तो मलबे की चाद्दर करीब पन्द्रह फीट तक बन गई है। मानसा भंडारे के बर्तन तो दस से बारह फीट गहरे मलबे में दबे हुए है। कितने लोग वहां दबे यह सिर्फ अनुमान लगाया जा सकता है। दर्द और चीख पुकार कुछ देर के लिए विचलित करती है, कुछ देर बाद फिर से सामान्य स्थिति हो जाती है।