दुबई से योजना ने पकड़ी थी रफ्तार: इन देशों में 2009 में दुबई से रेलवे प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई थी। दुबई मेट्रो की सफलता के बाद से ही नेटवर्क को बढ़ाया जा रहा है और जल्द ही ब्लू लाइन परियोजना के साथ विस्तार होगा। दोहा मेट्रो 2019 में शुरू हुई, जबकि रियाद मेट्रो के इस साल लॉन्च होने की संभावना है। मेट्रो की शुरुआत के बाद से दुबई में सार्वजनिक परिवहन यात्राएं दो प्रतिशत से बढ़कर 14 प्रतिशत हो गई हैं, जिससे शहर की व्यस्त सड़कों से कार यात्राओं में कमी आई है। वहीं एतिहाद रेल सालाना यूएइ के सड़क परिवहन क्षेत्र से 21 प्रतिशत कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम कर रही है।
सिटी प्लानर्स की निगाहें हाइपरलूप पर: खाड़ी देशों में शुरुआती रेलवे प्रणालियों को इसलिए अपनाया गया क्योंकि यह सरल तकनीक थी जिसे जल्दी, सस्ते में और यथासंभव कम सामग्रियों के साथ बनाया जा सकता था। लेकिन वर्तमान में सिटी प्लानर्स पारंपरिक रेल के विकल्प के रूप में मैग्लेव और हाइपरलूप जैसी तकनीकों पर फोकस कर रहे हैं। जैसे-जैसे यह क्षेत्र कोप28 के परिणामों को समझ रहा है, नए परिवर्तन के लिए आगे बढ़ रहा है। खाड़ी देश 2030 तक परिवहन के ऊर्जा-कुशल और जीवाश्म-मुक्त रूपों की हिस्सेदारी को दोगुना और शहरों के बीच दूरी कम करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
यूरोप में ट्रेनों के लिए शानदार होगा साल: यूरोप में भी यह साल ट्रेनों के लिए शानदार रहने वाला है, जिसमें बड़ी संख्या में नए इंट्रा-यूरोपीय ट्रेन मार्ग और शेड्यूल लॉन्च होंगे। जैसे ब्रसेल्स (ब्राजील), एंटवर्प (ब्राजील), रॉटरडैम (नीदरलैंड्स) और एम्सटर्डम (नीदरलैंड्स) को बर्लिन से जोड़ने वाली यूरोपीय स्लीपर सेवा को मार्च, 2024 से ड्रेसडेन (जर्मनी) और प्राग (चेक गणराज्य) तक बढ़ा दिया जाएगा। वहीं ब्रसेल्स और बर्लिन, पेरिस और बर्लिन के बीच एक नई नाइटजेट स्लीपर सेवा इसी साल अक्टूबर से चलना शुरू हो जाएगी।
जीसीसी देशों में रेल नेटवर्क की योजना