देवस्थान के 33 मंदिरों में सिर्फ 6 सेवागीर ही है। जबकि मंदिरों में साफ-सफाई व सुरक्षा के लिए सेवागीर होना जरूरी है। पहले एक—एक मंदिर में 5 से 6 सेवागीर होते थे, जिनमें भगवान का भोग बनाने के लिए रसोइदार व बालभोगिया होता था, इसके अलावा जलसेवक अलग से होता था। इसके अलावा साफ-सफाई के लिए बुहारिया होता था, वहीं सुरक्षा के लिए प्रहरी और कीर्तन करने के लिए एक कीर्तनिया हुआ करता था, लेकिन धीरे-धीरे सब सेवानिवृत होते गए, अब अधिकतर मंदिरों में एक भी सेवागीर नहीं है।
40 मंदिर है जयपुर में देवस्थान विभाग के प्रत्यक्ष प्रभार के
5 मंदिरों को सुपुर्दगी श्रेणी में दे रखा है धार्मिक संगठनों को
33 मंदिरों की विभाग कर रहा है सेवा-पूजा व देखरेख 46 पुजारी है देवस्थान विभाग में
विभाग के अफसरों की मानें तो जयपुर में विभाग के 46 पुजारी है। इनमें 28 पुजारी नई भर्ती में आए है, जबकि 18 पुराने पुजारी है। इसके बाद भी मंदिरश्री आनंदकृष्ण बिहारीजी, ब्रजनिधिजी और बृजराज बिहारीजी में 2-2 पुजारी ही है, बाकि मंदिरों में एक-एक पुजारी लगे हुए हैं। जबकि ए श्रेणी के मंदिरों में 2 या तीन पुजारी लगाना जरूरी है।
33 मंदिरों में पर्याप्त पुजारी उपलब्ध होने से नियमित सेवा-पूजा हो रही है। इन मंदिरों में 6 सेवागीर भी कार्यरत है।
– आकाश रंजन, सहायक आयुक्त, देवस्थान विभाग