आतिशबाजी से झुलसने के मामले ज्यादा आए पिछले साल की अपेक्षा इस बार आतिशबाजी से झुलसने के मामले ज्यादा आए हैं। इनका अस्पतालों में उपचार चल रहा है। ऐसे कैसेज भी सामने आए हैं कि आतिशबाजी के दौरान बच्चे और युवक की आंख में पटाखे से चोट लगी। युवक की एक आंख फट गई, बालिका के मोतियाबिंद बन गया।
रॉकेट से शीशी का कांच फूटा और आंख फट गई एमबीएस अस्पताल के नेत्र रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अशोक मीणा ने बताया कि पिछले दो दिन में दिवाली पर पटाखे चलने की वजह से लगभग आंखों के 20 मरीज अस्पताल पहुंचे। इनमें सामान्य से गंभीर चोट के मरीज हैं। मरीजों की उम्र 10 से 22 वर्ष है। ज्यादातर मरीजों की चोटें सामान्य थीं। लगभग चार मरीजों को गंभीर चोट की वजह से दिखना बंद हो गया। ज्यादातर मरीजों का दवा लेकर इलाज किया जा रहा है। एक मरीज कांच की शीशी में रॉकेट चलाते समय कांच फूटने से उसका टुकड़ा आंख में चला गया, जिससे मरीज की आंख फट गई। आंख की पलक भी कट गई और दिखाना बंद हो गया। मरीज का आंख का ऑपरेशन किया गया। एक मरीज का अनार चलाते समय चेहरा झुलस गया।
आंख में बना मोतियाबिंद आई सर्जन डॉ. सुरेश पाण्डेय ने बताया कि उनके अस्पताल में करीब 7 केस आए। दुजर्नपुरा निवासी 12 साल की बालिका पटाखे चला रही थी। अचानक से पटाखा चलने से आंख में चोट लग गई। घरवाले तुरंत उसे अस्पताल लेकर पहुंचे। डॉ. विदुषी पाण्डेय ने बताया कि पटाखे से गंभीर चोट लगने के कारण बालिका के बाईं आंख की पुतली क्षतिग्रस्त हो गई। चोट लगने से आंख में मोतियाबिंद बन गया। इससे बाईं आंख से दिखना बंद हो गया। बालिका का अस्पताल में इलाज चल रहा है। करीब एक महीने बाद आंख का मोतियाबिन्द ऑपरेशन किया जाएगा एवं कृत्रिम लैंस का प्रत्यारोपण किया जाएगा। इसी तरह बारां से एक केस आया। 23 साल के युवक की आंख में पटाखा चलने की वजह से मोतियाबिंद बन गया।
32 से ज्यादा केस आए प्लास्टिक सर्जन डॉ. आलोक ने बताया कि उनके अस्पताल में दिवाली पर आतिशबाजी व आग से झुलसने के दो दिनों में 32 केस सामने आए। इस बार आग से जलने वाले ज्यादा हैं। एक 55 वर्षीय महिला के दीपक जलाते समय साड़ी में आग लग गई। इससे वह झुलस गई। इसके अलावा अनार, बम व अन्य पटाखों से झुलसे लोग अस्पताल में पहुंचे हैं।