आज हम देश का 68वां स्वाधीनता दिवस मना रहे हैं, लेकिन क्या आपके दिमाग में यह सवाला कौंधा है कि 15 अगस्त 1947 को ही हमें अंग्रेजों ने आजादी क्यों दी या फिर हम रात के 12 बजे ही आजाद क्यों हुए?
असल में इन दोनों सवालों के पीछे एक बहुत बड़ा कारण छुपा हुआ था। इस बात का खुलासा मशहूर लेखक लैरी कॉलिंस एवं डोमिनिक ला पियरे ने अपनी चर्चित पुस्तक `फ्रीडम ऎट मिडनाइट` में विस्तार पूर्वक किया था। इतिहास के मुताबिक भारत को आजाद करने का फैसला ब्रिटेन की सरकार ने 26 फरवरी 1947 को ही कर लिया था और इसके लिए जून 1948 तक की समयसीमा भी निर्धारित कर दी थी। सत्ता के हस्तांतरण के लिए ही लॉर्ड माउंटबैटन को भारत का वायसरॉय नियुक्त किया गया था।
देश की आजादी और विभाजन को लेकर माउंटबैटन ने तमाम बैठकें कीं। अंतत: 3 जून 1947 को हुई एक मीटिंग में वायसरॉय ने प्रेस के सामने 15 अगस्त 1947 को आजादी की तारीख मुकर्रर कर दी। इस तारीख के पीछे वायसरॉय का अपना इतिहास जुड़ा हुआ था। दरअसल 15 अगस्त 1945 को दि्वतीय विश्व युद्ध में जापान की सेना ने उनके सामने आत्मसमर्पण किया था। वॉयसराय इस दिन को अपने लिए लकी मानते थे। इसी वर्षगांठ को यादगार बनाने के लिए माउंटबैटन ने आजादी का दिन 15 अगस्त को चुना।
independence-day-4-1439573632.jpg” border=”0″>अब आधी रात की कहानी
जब 3 जून को यह फैसला ले लिया गया कि 15 अगस्त को भारत आजाद कर दिया जाएगा तो भारतीय ज्योतिषियों ने इसमें एक पेंच फंसा दिया। उनके अनुसार देश के लिए 15 अगस्त, 1947 का वह दिन बहुत ही अशुभ और अमंगलकारी था। ज्योतिषियों के अनुसार उस दिन भारत की स्थिति मकर राशि के अंतर्गत थी जो कि शक्तियों का विकेंद्रीकरण कर देने के लिए कुख्यात है।
लेकिन, माउंटबैटन अपने फैसले पर अटल रहे इसलिए अंतत: ज्योतिषियों ने एक नई बात रखी कि देश को 14 अगस्त की रात 12 बजे आजाद किया जाए क्योंकि हिन्दू मान्यता के अनुसार 15 अगस्त का दिन सूर्योदय के साथ शुरू होता जबकि अंग्रेजों के लिए रात 12 बजे से ही। इस प्रकार लॉर्ड माउंटबैटन की बात भी रख ली गई और देश अशुभ काल में आजाद होने से भी बच गया।
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