कहा था कि नियमों को ताक पर रखकर रेत का उत्खनन किए जाने से किसानों की भूमि का कटाव, जलस्तर कम होना, पेड़-पौधों का दोहन बड़ी मशीनों से किया जाना, रेत के अवैध उत्खनन से जंगली जानवरों का गांव की सीमा में प्रवेश करना, पालतू पशुओं एवं ग्रामीणों पर हमला कर जंगली जानवर उनको मौत के घाट उतार रहे है।
जहां-तहां सडक़ पर गड्ढे हो गए है। इससे अवागमन में परेशानी हो रही है। बगैर सीमांकन के रेत उत्खनन कहीं भी कर दिया गया है। मशीनों से उत्खनन किए जाने से धनी और हिर्री नदी पर बने पुल को खतरा है। सोसायटी गोदाम की भूमि के कटाव से दरार जैसी स्थिति निर्मित हो गई है।
ग्रामीणों ने इस संबंध में क्षेत्रीय विधायक ठाकुर रजनीश हरवंंशसिंह को इससे अवगत कराया था। इसके बाद उन्होंने कमिश्नर अभय वर्मा से इसकी शिकायत की। उनकी शिकायत के बाद गठित संभागीय जांच टीम के साथ अतिरिक्त कमिश्नर अमर बहादुर सिंह, क्षेत्रीय प्रमुख भौमिक तथा खनिकर्म जबलपुर अनिल नारनवरे, क्षेत्रीय अधिकारी मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जबलपुर आलोक जैन, उप संचालक खनिज एवं प्रशासन जबलपुर रत्नेश दीक्षित टीम के साथ संबंधित रेत खदान का स्थलीय निरीक्षण किए। उनको क्षेत्रीय ग्रामीण व पंचायत जनप्रतिनिधियों ने भी इन समस्याओं से अवगत कराया।
उक्त अधिकारियों के साथ अनुविभागीय दंडाधिकारी केवलारी महेश अग्रवाल, नायाब तहसीलदार कुंवर लाल राऊत, जिला खनिज अधिकारी सलामे, खनिज निरिक्षक श्रीवंती परते, पटवारी गौतम डोंगरे व सिरसाम पटवारी, थाना प्रभारी सदानंद गोदेवार उपस्थित रहे। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों में जिला पंचायत सदस्य गायत्री विरेन्द्र राजसिंह ठाकुर, जनपद सदस्य आनंद भगत, जनपद सदस्य नागेश्वर, जनपद सदस्य साकेतराज टेम्भरे, सरपंच अशोक शांडिल्य, इमरान साबीर अंसारी, राहुल बनवाले, निर्मलकर, करतार सिंह, रमेश देशमुख, शाह सिंह उईके, सरपंच भारद्वाज, प्रदीप बिसेन, कोमल प्रजापति आदि उपस्थित रहे।
जिले में बिना पर्यावरण मंजूरी व अवैध उत्खनन की शिकायत लोगों ने प्रधानमंत्री सहित संबंधित उच्चाधिकारियों से किया है। कहा है कि बिना पर्यावरण मंजूरी के खदानों से रेत उत्खनन किए जा रहे है। नदी में पानी होने के बाद भी मशीन से रेत निकाला जा रहा है। इससे जलीय जीवों एवं प्राकृति को खतरा है। रेत उत्खनन करने वाले एनजीटी के नियमों को ताक पर रखकर खुदाई कर रहे है। तीन मीटर तक खुदाई की अनुमति रहती है। नियम विरुद्ध तीन गुना से अधिक खुदाई की जा रही है। यदि नियमानुसार गड्ढों की नपाई कर जुर्माना वसूलने की कार्रवाई की जाए तो सरकार को करोड़ों रुपए का राजस्व प्राप्त होगा। शिकायत में कहा है कि पांच हेक्टेयर से बड़ी खदान में कलेस्टर होता है। संबंधित गांव जहां से नदी बहती है, वहां के लोगों की सहमति लेनी होता है। आरोप लगाया है कि जहां के ग्रामीणों ने आपत्ति जताया है वहां भी गलत तरीके से फाईल बनाकर और फर्जी सहमति दर्शाकर अनुमति लेने का प्रयास किया जा रहा है। इसे तत्काल प्रभाव से रोका जाए। जिले की खदानों को सेटेलाइट से निगरानी की जानी चाहिए। पुल के पास भी उत्खनन किया जा रहा है। इससे पुल के क्षतिग्रस्त होने की संभावना है।
इसके पूर्व बीते वर्ष सिवनी विधायक ने भी कुरई क्षेत्र के एक खदान का निरीक्षण किया था। खदान में मशीन से खुदाई का मामला सामने आया था। विधायक ने जिला खनिज अधिकारी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए नियम विरुद्ध खदान चलाने वालों को संरक्षण दिए जाने का आरोप लगाया था। इससे लोगों की ओर से की गई शिकायत को बल मिल रहा है। जिला खनिज अधिकारी के साथ ही प्रदूषण सहित अन्य संबंधित विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।