चार दशकों में एक ट्रिलियन टन बर्फ समाप्त: वैश्विक तापमान के बढ़ने से दशकों से ग्रीनलैंड में बर्फ की चादर को बड़ा नुकसान दर्ज किया जा रहा है। एक अन्य शोध में अमरीका में नासा की जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला से जुड़े वैज्ञानिकों ने 1985-2022 तक हर महीने ग्रीनलैंड के 207 ग्लेशियरों को ट्रैक करने के लिए दो लाख से ज्यादा मैनुअल और एआइ जेनरेटेड सेटेलाइट इमेजेस का विश्लेषण किया। उन्होंने इन ग्लेशियरों में व्यापक कमी देखी गई और पाया कि 1985 के बाद से लगभग एक ट्रिलियन टन बर्फ समाप्त हो चुकी है।
बर्फीली चादर के हर हिस्से से ग्लेशियर सिकुड़ा: वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि पिघलती बर्फ समुद्री धाराओं, मौसम के पैटर्न, पारिस्थितिकी तंत्र और यहां तक कि वैश्विक खाद्य सुरक्षा को अस्थिर करने जैसे जोखिम बढ़ा सकती है। बर्फ की चादर के लगभग हर हिस्से से ग्लेशियर सिकुड़ रहा है। इससे समुद्री जलस्तर में वृद्धि हुई है और दुनियाभर में जलवायु पर प्रभाव पड़ा है। ग्रीनलैंड आइस शीट दुनिया की दो बची हुई बर्फ की चादरों में से एक है। बर्फीली चादर ग्रीनलैंड के लगभग 80 फीसदी हिस्से को कवर करती है।
एक्सपर्ट व्यू:
ग्रीनलैंड के आसपास परिवर्तन जबरदस्त हैं। पिछले कुछ दशकों में लगभग हर ग्लेशियर पीछे हट गया है। उत्तरी अटलांटिक महासागर में ताजे पानी का प्रवाह निश्चित रूप से एएमओसी को कमजोर करेगा। हालांकि इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि यह कितना असरकारी होगा।
डॉ. चाड ग्रीन, वैज्ञानिक, जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला, नासा
ग्रीनलैंड आइस शीट