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सेंट्रल जेल में मिला गांजा… लैब टैक्नीशियन गिरफ्तार, कैदियों को सप्लाई करता था प्रतिबंधित सामग्री

केंदीय कारागार की डिस्पेंसरी में कार्यरत लैब टैक्नीशियन को गांजा और अन्य प्रतिबंधित सामग्री के साथ रविवार को कोतवाली थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर पूछताछ शुरू कर दी है।

अलवरAug 05, 2024 / 11:43 am

Umesh Sharma

अलवर.

केंदीय कारागार की डिस्पेंसरी में कार्यरत लैब टैक्नीशियन को गांजा और अन्य प्रतिबंधित सामग्री के साथ रविवार को कोतवाली थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर पूछताछ शुरू कर दी है।
कार्यवाहक जेल अधीक्षक रूपकिशोर शर्मा ने बताया कि बुध विहार निवासी मनीष कुमार यादव (25) पुत्र कृष्ण कुमार यादव (निवासी गढ़ी मुंडावर) अलवर जेल में डिस्पेंसरी में लैब टैक्नीशियन है। यादव रविवार को जेल पहुंचा तो जेल कर्मियों को उसके बैग में प्रतिबंधित सामग्री होने का शक हुआ। बैग की जांच की तो उसमें 8 पुड़ियों में 64 ग्राम गांजा, तीन मोबाइल, चार खैनी और 10 गुटखा के पाउच, 83 नग बीडी के बंडल मिले। यह सभी सामग्री दवाइयों के खाली रैपर में रखकर लाई गई थी, ताकि किसी को शक नहीं हो। जेलर रविंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट पर कोतवाली थाना पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया है। पूछताछ में पता लगाया जा रहा है कि वह इस तरह की सामग्री कब से जेल में सप्लाई कर रहा था। यह भी पता लगाया जा रहा है कि इस काम में कौन-कौन उसके साथ जुड़े हैं।

पहले भी मिल चुकी हैं प्रतिबंधित सामग्री

जेल में समय-समय पर तलाशी अभियान चलाया जाता है। इससे पहले भी यहां मोबाइल, बीडी सहित अन्य नशीली चीजें मिल चुकी हैं। जेल में कई हार्डकोर अपराधी भी बंद हैं। माना जा रहा है कि यह सामग्री उन्हें सप्लाई की जा रही थी।
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मोटी कमाई का लालच

जेलों में इस तरह की सामग्री मिलने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी प्रदेश की कई जेलों में मोबाइल मिलने के मामले सामने आ चुके हैं। घी, बीड़ी-सिगरेट सहित अन्य खाद्य सामग्री भी महंगे दामों पर कैदियों को दी जाती है। इस तरह के मामलों में जेलकर्मियों की लिप्तता सामने आती रही है।

पिछले दिनों ही हुई थी जांच

दौसा जेल से सीएम भजन लाल शर्मा को धमकी मिलने के बाद पिछले दिनों ही जिला प्रशासन और पुलिस के अफसरों ने भारी लवाजमे के साथ अलवर सेंट्रल जेल में सर्च ऑपरेशन चलाया था। करीब सवा घंटे के सर्च ऑपरेशन के दौरान जेल वार्ड और बैरकों की तलाशी ली गई, लेकिन कोई निषिद्ध सामग्री नहीं मिली।

जिस जेल में नौकरी, अब वहीं बंदी

मनीष पिछले चार साल से अलवर की सेंट्रल जेल की डिस्पेंसरी में कार्यरत है। अब तक वह जिस जेल में नौकरी कर रहा था, अब उसी जेल में वह बंदी के रूप में रहेगा।

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