रॉक फेलर लैबोरेटरी के प्रमुख विनरिच फीवेल्ड और सोफिया लैंडी दोनों ने ऐसे क्षेत्रों की पहचान की है, जो फैमिलियर चेहरे को पहचानने की क्षमता रखता है। यह एरिया अभी तक वैज्ञानिकों की नजर से अपरिचित रहा है। दिमाग का यह अनजाना एरिया विजुअल परसेप्सन की पहचान करने में सक्षम है। इस खोज को साइंस मैगजीन में प्रकाशित की गई है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि दिमाग के अंदर एक ऐसा नेटवर्क है जो मोबाइल, वाहन, स्मार्टफोन व अन्य चीजों की तरह फैमिलियर चेहरे की तुरंत पहचान कर लेता है, लेकिन लेकिन अनजाने चेहरे को पहचानने में उसे काफी मशक्कत करनी पड़ती है। या तो लोग पहचान नहीं कर पाते या मद्धिम रोशनी में मुश्किल से ही पहचान कर पाते हैं। ऐसा क्यों होता है इस पर वर्षों से प्रयोग चल रहा था। खोज में ही इस बात का भी पता चला कि मकाक प्रजाति का बंदर इस काम में सबसे ज्यादा सक्षम है, क्योंकि इस बंदर ने प्रयोग के दौरान इस अनजाने हिस्से के बल पर ऐसा कर दिखाया है।
पहला क्षेत्र दिमाग के मेमोरी से संबंधित है, जिस क्षेत्र में सभी तरह की सूचनाएं और घटनाएं चेतन अवस्था में जमा होती हैं। इसका उपयोग लोग यादïदाश्त को बनाए रखने में करते हैं। दूसरा क्षेत्र सामाजिक व्यवहार से जुड़ा है। यह बताता है कि जब आप किसी व्यक्ति से बात करते हैं तो उसकी हैसियत का खुलासा करता है, ताकि आप उसी के अनुरूप बात कर सकें।
इस खोज के बल पर अब पहले से बेहतर तरीके से जाने और अनजाने चेहरों को पहचानने की क्षमता की गहराई से अध्ययन करने में दुनियाभर के वैज्ञानिकों का मदद मिलेगी। साथ ही शोधकर्ता यह भी समझ पाएंगे कि तंत्रिका तंत्र जब चेहरे को पहचानने के समय अपनी प्रतिक्रिया देता है, तब उसका संबंध किन-किन बातों से है। यानी इस खोज ने विज्ञान की दुनिया में एक नई राह खोलकर रख दी है।
इस काम में शोधार्थियों ने फंक्शनल मैग्नेटिक रिसोनैंस इमेजिंग सिस्टम का प्रयोग किया। इस तकनीक की सहायता से उन्होंने जानवरों के दिमाग की गतिविधियों का मापन किया। मापन का काम फैमिलियर चेहरे को पहचान करने के समय मकाक बंदर की ओर से दी गई प्रतिक्रियाओं के आधार पर किया गया। मकाक बंदरों ने उन बंदरों के चेहरे को सबसे आसानी से पहचाना, जिनके साथ उन्हें चार साल तक रखा गया था या उन तस्वीरों को पहचान लिया, जिन्हें वह कभी न कभी पहले भी देख चुके थे।
फैमिलियर चेहरे को पहचानने में मकाक और इंसान ब्रेन नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं। इसके बल पर न केवल चेहरे, बल्कि संबंधियों की पहचान भी संभव है। किस-किस में है पहचानने की क्षमता
शोध दल के प्रमुख फीवेल्ड का कहना है कि बहुत पुराने प्राइमेट़स और इंसान में पहचान करने की क्षमता अधिक होती है। इन क्षेत्रों की पहचान से एक और चौंकाने वाली सूचनाएं शोधकर्ताओं को मिली हैं। जब शोधकर्ताओं ने निजी रूप से परिचित चेहरों की धुंधली छवियों को दिखाया तो उन्होंने आधा मिनट या थोड़ा अधिक समय लेकर उसे भी पहचान लिया।