इसलिए पुल जरूरी
नेशनल हाईवे के नियम कहते हैं कि मार्ग में ज्यादा घुमाव न हों। साथ ही दूसरे संपर्क मार्ग आसानी से मुय मार्ग से जुड़े हों, लेकिन कटीघाटी व भूगोर एरिया में घुमाव ज्यादा हैं, जिससे दुर्घटनाएं होती हैं। इसे कम करने के लिए ही पीडब्ल्यूडी एनएच विंग ने पुल का प्रस्ताव तैयार किया है। करीब डेढ़ किमी लंबा पुल बनाने की योजना है।यह वाईशेप का भी हो सकता है। इसके डिजाइन का जिमा दिल्ली की एक फर्म को दिया गया है, जिसने हाल ही में कटीघाटी, ढाईपैड़ी व हनुमान सर्किल मार्ग की नापजोख की है। फर्म की रिपोर्ट के बाद संशोधित डीपीआर भी तैयार होगी। इस डीपीआर के आधार पर ही तय होगा कि काम किस तरह किया जाना है। इस पुल के बनने के बाद अलवर से जयपुर आने-जाने वाले लोगों को फायदा होगा।
जमीन का अधिग्रहण भी होगा
पुल को ढाई पैड़ी से जोड़ने के लिए जमीन का अभाव है। ऐसे में कुछ जमीन अधिग्रहण भी होगी। इसके लिए भी पीडब्ल्यूडी एनएच तैयारी कर रहा है। इसके लिए संबंधित खातेदारों को मुआवजा सरकार देगी। हालांकि किसी भी प्रोजेक्ट में जमीन अधिग्रहण सबसे बड़ी परेशानी बनती है। यहां भी जमीन लेना एनएचएआई के लिए आसान नहीं होगा।यहां बनाने की संभावनाएं
बताया जा रहा है कि पुल चिनार स्कूल के पास से ढाईपैड़ी की ओर जाएगा। उसके बाद इसे कटीघाटी से जोड़ दिया जाएगा। चिनार स्कूल से जो मार्ग हनुमान सर्किल की ओर जा रहा है, उसको भी जोड़ने की प्लानिंग है ताकि वाहन सीधे चिनार स्कूल से चढ़ें और कटीघाटी से इस ओर उतार आएं।हालांकि अब केवल इस पुल के उतार-चढ़ाव को लेकर फर्म संभावनाएं देख रही है। इसका फाइनल रूट दो माह में ही तैयार होगा। पुल के चलते कटीघाटी व ढाई पैड़ी मार्ग को चौड़ा करने की योजना है। कुछ जमीन पर नेशनल हाईवे की है, लेकिन उस पर अतिक्रमण हो गए। बारातघरों के गेट भी बन गए। ऐसे में चौड़ीकरण के दौरान यह अतिक्रमण हटाया जाएगा।