खेतों में फसल उगाने के बाद या उससे पहले उर्वरक डालने के लिए किसानों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। खेतों में कई घंटे धूप में पीठ पर टंकी बांधकर फव्वारे से उर्वरक का छिड़काव करना पड़ता है। पाली के किसानों अब ऐसा नहीं करेंगे। वे आसमान व फसल की तरफ देखेंगे और डेढ़ से दो घंटे में पूरे खेत में उर्वरक का छिड़काव हो जाएगा। ड्रोन के जरिए खेतों में स्प्रे होने से किसानों को कम लागत में बेहतर उत्पादन मिल सकेगा।पाली कृषि विज्ञान केन्द्र में ड्रोन लाया गया है। जो सामान्य फोटोग्राफी के ड्रॉन से काफी बड़ा है। उसमे 10 लीटर तरल उर्वरक भरने की टंकी लगी है। जिसमे नैनो यूरिया या तरल उर्वरक भरने के बाद ड्रोन को उड़ाने पर उस पर लगे तीन फव्वारों से बरसात की तरह उर्वरक का छिड़काव फसल पर हो जाएगा। यह ड्रोन एक उड़ान दस मिनट की भरेगा। इसमे करीब डेढ़ से ढाई एकड़ तक फसल पर छिड़काव हो जाएगा। इसका परीक्षण केवीके के वैज्ञानिक पाली में केन्द्र परिसर में उगाई जाने वाली फसल पर कर चुके हैं।
जिले में किसान तरल उर्वरक का छिड़काव करने के लिए अभी टंकी का उपयोग करते है। जो करीब 16 लीटर की आती है। उर्वरक भरने के बाद किसान टंकी को पीठ पर बांधते है। इसके बाद पाइप के माध्यम से छिड़काव करते है। इस तकनीक से पूरे दिन में किसान करीब ढाई-तीन बीघा में मुश्किल से छिड़काव कर पाते है। जबकि ड्रोन से यह कार्य मिनटों में किया जा सकता है।
इनका कहना है
कृषि विज्ञान केन्द्र की ओर से अभी किसानों के खेतों में फ्री में ड्रोन उड़ाया जाएगा। किसान को केवल उर्वरक लाकर देना होगा। वैसे एक बार डेमो में केवीके कुछ किसानों को उर्वरक भी उपलब्ध करवाएगा। ड्रोन से छिड़काव से किसानों को काफी लाभ होगा।
डॉ. मनोज गुर्जर, प्रभारी, कृषि विज्ञान केन्द्र, पाली
ये हैं लाभ
ड्रोन से बड़े क्षेत्रफल में कुछ ही मिनटों में उर्वरकों एवं कीटनाशकों का छिड़काव किया जा सकता है। इससे लागत में कमी आती है।
किसान हानिकारक रसायनों के सम्पर्क में नहीं आता है। अधिक ऊंचाई वाली फसल पर भी आसानी से कीटनाशक व उर्वरक का उपयोग हो जाता है। कीटनाशक व रसायन का अपव्यय कम होता है। इससे कम रसायन में अधिक क्षेत्रफल में छिड़काव होता है।
ड्रोन तेजी से फसल पर छिड़काव करता है, इससे समय की बचत होती है।