समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने रविवार को केंद्र और राज्य की सत्ता पर काबीज भारतीय जनता पार्टी पर जमकर निशाना साधा। रविवार को सीतापुर में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सपा प्रमुख ने भाजपा सरकार को हटाने का आह्वान करते हुए ‘80 हराओ-भाजपा हटाओ’ का नया नारा दिया। एक ट्वीट में सपा की तरफ से “80 हराओ-भाजपा हटाओ” नारे के हैशटैग के साथ कहा कि अबकी बीजेपी हारेगी बूथ-बूथ, अहंकार उतारेगा यूथ।
वहीं, मीडिया से बात करते हुए उन्होंने सवाल उठाया कि क्या निवेशक सम्मेलन में कट्टे-तमंचे की आपूर्ति और उत्पादन के करार पर हस्ताक्षर किए गए थे? कौशल विकास के अंतर्गत क्या अपराध का प्रशिक्षण दिलाया जाता है? पूर्व मुख्यमंत्री ने दावा किया कि इस सरकार में व्यापारियों को सुरक्षा एवं सुविधा देने के बजाय उनसे वसूली, फिरौती की छूट दी जाती है, भाजपा राज में भ्रष्टाचार अब उजागर हो चला है।
सपा प्रमुख ने रविवार को ईज ऑफ डूइंग का नया मतलब बताया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार में ‘ईज ऑफ डूइंग’ का मतलब हत्या, बलात्कार, लूट और भ्रष्टाचार है।
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बता दें कि प्रदेश में 2014 और 2019 के लोकसभा के आम चुनाव में उनकी पार्टी को भाजपा से करारी हार का सामना करना पड़ा था। 2014 में प्रदेश में सपा की सरकार रहने के दौरान उनकी पार्टी को प्रदेश की 80 में से सिर्फ 5 सीटों पर ही जीत मिली थी। वहीं, 2019 के चुनाव में अपनी धुर विरोधी बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन करने के बावजूद बुरी तरह से चुनाव हार गए। इस चुनाव में जहां सपा के साथ आने का फायदा बसपा को तो मिला लेकिन सपा को इसका बिल्कुल भी फायदा नहीं हुआ। सपा इस चुनाव में भी 5 सीटों पर ही चुनाव जीत पाई थी। वहीं, बसपा 10 कांग्रेस 1 और भाजपा 64 सीटों पर कब्जा करने में कामयाब रही।
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2024 में बड़ों दलों से दूरी2024 के चुनाव में जुटे अखिलेश यादव ने करीब करीब यह तय कर लिया है कि इस चुनाव में बड़ों दलों से गठबंधन नहीं करेंगे। जानकार बताते है कि सपा ने पिछले चुनावों में बड़े दलों के साथ गठबंधन करके यह देख लिया कि उसका वोट तो दूसरे दलों को जाता है। लेकिन दूसरे दलों का वोट उनको नहीं मिलता है। इस साल की शुरुआत में पूर्वांचल के गाजीपुर में जनसभा को संबोधित करते हुए सपा प्रमुख ने ऐलान किया था कि अब वह आने वाले चुनाव में प्रदेश में किसी नए दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। जो दल (राष्ट्रीय लोक दल, अपना दल ‘क’) उनके साथ है वहीं अगले चुनाव में भी उनके साथ रहेंगे।