आदेश जारी कई विभागों की ओर से सरकार से 2014 की पॉलिसियों के तहत रेगुलर हुए कर्मचारियों के प्रमोशन को लेकर सुझाव मांगे थे, जिस पर सामान्य प्रशासन की ओर से सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्ष, मंडलायुक्त, उपायुक्त, यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार ओर बोर्ड-निगमों के एमडी को आदेश जारी किए गए हैं।
एडवोकेट जनरल की राय के बाद आदेश जब विभागों की ओर से इन कर्मचारियों के प्रमोशन को लेकर दिशा-निर्देश स्पष्ट करने को कहा तो सरकार की ओर से भी एडवोकेट जनरल कार्यालय से सलाह मांगी गई थी। उन्होंने भी सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए 26 नवंबर 2018 के अनुसार मामले में यथास्थिति बनाए रखने की सलाह दी। यदि प्रमोशन दिया जाता है तो कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा। इसलिए जब तक मामला सुप्रीम कोर्ट में है, तब तक प्रमोशन नहीं दी जाए। इन पॉलिसी से जुड़े करीब 5 हजार कर्मचारी हैं, जो अभी नौकरी कर रहे हैं।
वर्ष 2014 का मामला वर्ष 2014 में विधानसभा चुनाव से पूर्व हुड्डा सरकार की ओर से कच्चे कर्मचारियों को नियमित करने के लिए अलग-अलग पॉलिसी बनाई थी। 18 जून 2014 की पॉलिसी में 3 साल पूरे करने वाले कच्चे कर्मचारियों को नियमित किया गया। इसके बाद नई पॉलिसी बनाकर 31 दिसंबर 2018 तक 10 साल पूरे करने वाले कर्मचारियों को नियमित किया गया। हालांकि, बाद की रेगुलराइजेशन पॉलिसी के तहत कर्मचारियों के नियमित करने पर सवाल उठे तो मामला पहले हाईकोर्ट पहुंच गया। हाईकोर्ट ने नियुक्तियों में नियमों का पालन न होने की बात कहते हुए कर्मचारियों को हटाने के आदेश दिए थे। फिर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो वहां यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए गए।