scriptराजस्थान में है सबसे अनोखा गांव, यहां आज भी दूध बेचना माना जाता है पुत्र बेचने के बराबर | Unique village in Rajasthan, here even today selling milk is considered equivalent to selling a son | Patrika News
सिरोही

राजस्थान में है सबसे अनोखा गांव, यहां आज भी दूध बेचना माना जाता है पुत्र बेचने के बराबर

Rajasthan News: कुसमा मालीपुरा में सांखला माली जाति के लोग दूध व छाछ नहीं बेचते, पूर्वजों की परंपरा आज भी कायम, हर रोज होता है 300 लीटर दूध, उसकी बनाते हैं छाछ, लेकिन बेचते नहीं

सिरोहीSep 28, 2024 / 08:46 am

Rakesh Mishra

sirohi news
रणजीत सिंह
Rajasthan News: सोनेला पंचायत का मालीपुरा कुसमा गांव भगवान रामचन्द्रजी मंदिर के नाम से विख्यात है। इस गांव का निर्माण भगवान राम के पुत्र कुश के वंशजों ने कराया था। जिससे क्षेत्र का नाम भी कुसमा हो गया। गांव की खास बात यह कि यहां के सांखला माली जाति परिवार के लोग अपने पूर्वजों के बताए रास्ते व रवायत को मानते हुए आज भी पशुओं का दूध व छाछ को बेचते नहीं हैै।
वे अपने पुरखों के बताए अनुसार दूध बेचना पुत्र को बेचने के समान मानते हैं। हालांकि हर रोज गांव में करीब 300 लीटर दूध होता है, जिसका दही जमाकर सुबह बिलौना कर छाछ बनाते हैं, लेकिन उसे बेचने के बजाय अन्य लोगों को हर दिन मुफ्त में उपलब्ध कराते हैं। इससे निकलने वाले घी को भी भगवान की पूजा व स्वयं ही काम लेते हैं। यह परंपरा आज भी कायम है। जिसका सभी लोग बखूबी पालन करते आ रहे हैं।

दूध को बेचना पुत्र को बेचने के बराबर

सिरोही के कुसमा मालीपुरा में खांखला माली जाति के करीब 25 से अधिक परिवार है। उक्त परिवार शतप्रतिशत खेती व पशुपालक है। वे पुरखों की परंपरा को निभाते हुए पशुपालक होने के बावजूद दूध व छाछ नहीं बेचते। 80 वर्षीय कसनाराम सांखला बताते हैं कि उनके पूर्वज भी दू को नहीं बेचते थे। वे दूध को बेचना पुत्र को बेचने के बराबर मानते थे। गृहणी गीता देवी, हंजा देवी, भूरी देवी तथा अमु देवी ने बताया कि दूध बेचने से घर में नारगी यानी दरिद्रता व दुख आता है। इसलिए दूध नहीं बचने की परंपरा की पालना वे भी करते आ रहे हैं।
आस पास मंदिरों में भजन कीर्तन व धार्मिक कार्यक्रम में भी सारा दूध व छाछ निशुल्क उपलब्ध कराते हैं। उक्त परिवार ब्रह्माणी मां कुलदेवी व भगवान राम को आराध्य मानते हैं। शराब से भी दूर रहते हैं। बुजुर्गों ने बताया कि भगवान राम वनवास के समय कुसमा स्थित मोरिवा पहाड़ी के पास से ही गुजरे थे। उनके पुत्र कुश के नाम से ही कुशमा नगरी हुई थी।

गर्मी में छाछ के लिए लगती भीड़

गांव की महिलाएं रोज सुबह चार बजे उठकर बिलौना करती है। पहले हाथों से बिलौती थी, अब मशीन से, लेकिन उसे बेचते नहीं है। जो भी आता है उसे निशुल्क देते हैं। गर्मी में तो छाछ लेने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती हैं। घर से किसी को खाली नहीं भेजते हैं। परिवार के मुकेश कुमार, भीखा राम, दलपत कुमार, सपना कुमारी, करिश्मा समेत बच्चे छाछ वितरण में सहयोग करते हैं।
पुरखों के समय से सांखला गोत्र के लोग दूध तथा छाछ नहीं बेचते हैं। बुजुर्गों ने दूध को बेचना पुत्र को बेचने के बराबर बताया था। उनकी राह पर वे आज भी कायम हैं।
  • कसनाराम सांखला, कुसमा
ससुराल आने के बाद करीब 40 सालों में दूध व छाछ नहीं बेची है। सास-श्वसुर ने बताया था यह पूर्वजों के समय से परंपरा चली आ रही है, जो आगे भी जारी रखने का कहा है। बच्चे भी इसका पालन करते हैं। इससे सुकून मिलता है।
  • गीता देवी सांखला गृहणी, कुसमा
दूध तथा छाछ नहीं बेचनी चाहिए। बिलोने का घी तथा छाछ सेहत के लिए सबसे बेहतर है। वे आज भी बुजुर्गों के दूध व छाछ नहीं बेचने के बताए रास्ते पर कायम हैं।

Hindi News / Sirohi / राजस्थान में है सबसे अनोखा गांव, यहां आज भी दूध बेचना माना जाता है पुत्र बेचने के बराबर

ट्रेंडिंग वीडियो