स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें रोजमर्रा के कामों के लिए भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। गेहूं पिसाने और राशन जैसी चीजें लाने के लिए उन्हें पैदल ही पहाड़ पर चढ़ना और उतरना पड़ता है। स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां आने के बाद सबसे बड़ी समस्या आती है। गंभीर रूप से बीमार होने पर मरीज को खाट पर लादकर शहर ले जाया जाता है, जिसमें कई घंटे का कीमती समय बर्बाद हो जाता है। बच्चों की पढ़ाई की समस्या अलग है। शिक्षक ऐसे जगह पर नहीं आने चाहते हैं।
उदयपुर में इस खूबसूरत महल को देखकर ‘ताजमहल’ भूल जाएंगे आप
महाराणा प्रताप ने यहां निर्माण कराया है शिव मंदिरयहां प्राचीन श्री जबकेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। जिसका निर्माण वीर शिरोमणी मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप जी ने करवाया था। ऐसा माना जाता है कि महाराणा प्रताप ने मुगलों से युद्ध के दौरान कुछ वर्ष जंगल में बिताये थे। तब मेवाड़ के राजा होते हुए भी महाराणा प्रताप ने जंगलो में घास की रोटी और उबरा खा कर जीवन यापन किया था। महाराणा प्रताप आबू पर्वत के इन्हीं घने जंगलो के पहाड़ो के बीच में रहे थे और भोलेनाथ की भक्ति भी की थी। उसी समय उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया और शिवलिंग स्थापित किया।
माउंट आबू का शेरगांव सबसे ऊंचे गांवों में गिना जाता है। इसलिए यहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते रहते हैं। लोगों को यहां रहने का पुराना तरीका बहुत पसंद है। चूंकि यह गांव अरावली पर्वत की चोटी पर स्थित है, इसलिए यह राजस्थान का सबसे ऊंचा स्थान है। यहां से सूर्यास्त और सूर्योदय का नजारा बेहद रोमांचकारी होता है। गर्मियों में यहां का तापमान भी राज्य के अन्य हिस्सों की तुलना में कम होता है, जबकि सर्दियों में यहां का तापमान माइनस में चला जाता है।