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विभाग से 75 फीसदी तक अनुदान…
जिले में वर्तमान समय में करीब 50 हैक्टेयर में खजूर की खेती की जा रही है। जिसे किसानों को हर साल करीब 2 करोड़ रुपए की आय हो रही है। इस खेती को बढ़ावा देने के लिए उद्यान विभाग की ओर से अनुदान भी दिया जाता है। वर्ष 2022-23 में राष्ट्रीय कृषि विकास योजनान्तर्गत खजूर पौधारोपण पर विभाग की ओर से अनुमोदित दर का 75 प्रतिशत अनुदान देय है। सिरोही जिले में पिण्डवाड़ा तहसील के किसान परेश भाई सोमपुरा जिले में सबसे बड़े खजूर उत्पादक किसान है, जिन्होंने वर्ष 2017-18 में लगभग 30 हैक्टेयर क्षेत्रफल में खजूर के पेड़ लगाकर लाखों रुपए की आय प्राप्त कर रहे है। खजूर की खेती करने वाले सभी किसान उत्पादन लेकर तैयार माल को पैक कर अन्य जगह भेज रहे है।
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कम खर्च में अधिक मुनाफा
खजूर की खेती में कम खर्च कर अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। जानकारों की मानें तो लवणीय पानी वाले क्षेत्रों में इसकी खेती किया जाना संभव है। खजूर को पकने के लिए शुष्क गर्मी की आवश्यकता होती है। फूल आने व पकने के लिए तापमान 25 से 35 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक होना चाहिए। सिरोही जिले की मृदा व जलवायु इसके लिए पूरी तरह अनुकूल माना जाता है। खजूर के पौधे, पेड़ बनने के बाद सालों तक फल देते हैं। रोग व कीड़े भी इसमें ज्यादा नहीं लगते। एक हैक्टेयर में कुल 156 पौधे लगते हैं। इसमें 148 मादा व आठ पौधे नर के लगते हैं। खूजर के फल पौष्टिक तत्वों से भरपूर और स्वादिष्ट होते है। खजूर में पोषक खनिज, लवणों की अधिकता होने के कारण ये शरीर में रोगरोधी क्षमता पैदा करती है।
जिले में 15 से अधिक किसान 50 हैक्टयर में खजूर की खेती कर हर साल 2 करोड़ रुपए कमा रहे है। जिले में पहली बार 2013 में खजूर की खेती शुरू हुई थी। एक पौधे से 40 किलो से ज्यादा खजूर उत्पादन होता है। रख रखाव सही हो तो 90 साल तक एक पौधा उत्पादन देता है।
डॉ. हेमराज मीना, सहायक निदेशक, उद्यान सिरोही