राजभवन के इतिहास में पहली बार हुआ ऐसा, गवर्नर हाउस नहीं झेल पाया बिपरजॉय चक्रवात का कहर, टीन-पतरे उड़े, सीलिंग उखड़ी
biparjoy cyclone in Mount Abuसिरोही। बिपरजॉय चक्रवाती तूफान ने पर्वतीय पयर्टन स्थल माउंट आबू में जमकर कहर बरपाया। जिसके चलते ब्रिटिश हुकूमतकाल का बना राजभवन बिपरजॉय चक्रवाती तूफान की मार नहीं झेल सका। तूफान व मूसलाधार बारिश की वजह से गवर्नर हाउस प्रवेश द्वार वाले हिस्से के टीन पतरे उड़ गए। राजभवन प्रवेश द्वार वाले ऊपर के हिस्से के टीन पतरे व उनके नीचे लगे मजबूत लकड़ी के शहतीर, लकड़ी की सीलिंग समेत उखड़कर हवा में उड़ गए।
अंधड़ इतना तेज था कि गवर्नर हाउस के फ्रंट साइड से उड़े टीन पतरे व अन्य मलवा भवन के पिछली तरफ की सडक़ पर खड़े पेड़ों पर जाकर लटक गया। कुछ खिड़कियां भी टूट गई। जिनकी लकड़ी की फ्रेम के बाहर की लोहे की जालियां टूटकर खिड़कियों के पल्ले जमीन पर गिर गए। खिड़कियों के कांच टुकड़े-टुकड़े होकर इधर-उधर बिखर गए। जानकारी के अनुसार गनीमत यह रही कि घटना रात के समय हुई जिस वजह से घटनास्थल पर कोई व्यक्ति नहीं था, जिससे कोई जानमाल का नुकसान होने से बच गया। राजभवन के इतिहास में पहली बार इस तरह की घटना होना बताई जा रही है।
तूफान -बारिश थमी, दिखने लगे तबाही के मंजर हालांकि तूफान शांत होने से मंगलवार को मौसम खुल गया, लेकिन अब धीरे-धीरे तूफान की तबाही के मंजर की तस्वीर सामने आ रही है। माउंट आबू में कई स्थानों पर दर्जनों लोगों के घरों के टीन पतरे उखड़ गए। दीवारें दरक गई। यह आलम शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में व्यापक स्तर पर हुए नुकसान का है।
आर्यसमाज पार्किंग, किचन गार्डन पार्किंग, गुरूशिखर, अचलगढ़ समेत विभिन्न क्षेत्रों में व्यवसाय करने वाले लोगों के टीन टपर, लारियां तूफान में बिखर गईं। नक्की झील में चल रही चादर तूफानी बारिश थमने के बाद भी नदी नालों में धीमी गति से पानी बह रहा है। नक्की झील परिक्रमा पथ पर झील से निरंतर चादर चल रही है। मिन्नी नक्की झील, टे्रवर्र टेंक समेत क्षेत्र के अधिकतर जलाशय ओवरफ्लो हो गए हैं। हालांकि 59 फीट भराव क्षमता के लोअर कोदरा में 57 फीट व 33 फीट के अपर कोदरा बांध में 26 फीट पानी भर चुका है। पानी की आवक निरंतर जारी है।
इन्होंने कहा माउंट आबू मेें आए तूफान की वजह से राजभवन के फ्रंट साईड के पतरे, शहतीर व सीलिंग आदि उखड़ गई। तूफान इतनी जोर का था कि फ्रंट साइड से उड़े टीन पतरे आदि राजभवन के पीछे खड़े पेड़ों पर जा अटके। यह घटना रात के समय घटित हुई। जिससे कोई बड़ा जानमाल का नुकसान होने से बच गया।