कई भाषाएं जानती है, टीवी नहीं देखती
देवांशी ने 8 वर्ष तक की आयु में 357 दीक्षा दर्शन, 500 किमी पैदल विहार, तीर्थों की यात्रा व जैन ग्रन्थों का वाचन कर तत्व ज्ञान को समझा। देवांशी के माता-पिता अमी बेन धनेश भाई संघवी ने बताया कि बालिका ने कभी टीवी नहीं देखा। देवांशी ने क्विज में गोल्ड मेडल जीता था। संगीत में सभी राग में गाना, स्केंटिग भरतनाट्यम, योगा सीखा। देवांशी संस्कृत, हिन्दी, गुजराती, मारवाड़ी व अंग्रेजी भाषाएं जानती है।
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चार वर्ष की उम्र से गुरु भगवंतों के साथ
देवांशी ने 4 वर्ष 3 माह की उम्र में हर महीने 10 दिन गुरु भगवंतों के साथ रहना शुरू किया। उस समय 37 दीक्षा, 13 बड़ी दीक्षा, 4 आचार्य पदवी में 250 साधु-साध्वी भगवंतों का गुरु पूजन किया। 4 वर्ष 5 माह में कर्मग्रन्थ व ह्रदय प्रदीप ग्रन्थ का वाचन शुरू किया। 5 वर्ष की आयु में दीक्षा विधि कंठस्थ की, 5 वर्ष 8 माह की आयु में आराधना शुरू की। 5 वर्ष 4 माह की आयु में एक ही दिन में 8 सामायिक, 2 प्रतिक्रमण व एकासणा शुरू किया और 7 वर्ष की आयु में पौषध व्रत शुरू किया।
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रात्रि भोजन त्यागा
इस बालिका का जन्म होने पर नवकार महामंत्र का श्रवण कराने के साथ ओगे का दर्शन कराया गया था। बालिका महज 25 दिन की थी, तब नवकारशी का पच्चखाण लेना शुरू किया। जब 4 माह की हुई तो रात्रि भोजन का त्याग शुरू किया। जब 8 माह की थी तो रोज त्रिकाल पूजन की शुरुआत की। एक वर्ष की होने पर रोजाना नवकार मंत्र का जाप शुरू कर दिया। एक वर्ष 3 माह में 58 दिन की आयु में दीक्षा स्वीकार दर्शन किए।