भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की स्थापना दिवस के मौके पर केंद्र में मोटा अनाज पर आयोजित कार्यशाला में कृषि वैज्ञानिक डॉ. जय सिंह ने पॉवर प्वाइंट प्रजेंटेशन के जरिए किसानों को बताया कि मोटा अनाज में कई ऐसे विटामिन पाए जाते हैं जो कैंसर जैसी बीमारियों की संभावना को कम करते हैं। मधुमेह रोगियों में शर्करा की मात्रा को नियंत्रित करने में मददगार होते हैं। इससे हृदय रोग की संभावना भी कम होती है।
रेडक्रॉस सोसायटी के सचिव व शहर के प्रमुख चिकित्सकों में शामिल डॉ. डीके मिश्रा ने बतौर मुख्य अतिथि किसानों को मोटा अनाज के फायदे बताए। कहा कि वर्तमान में खान-पान की खराब आदतों के चलते ही लोग शरीर की आंतरिक खामियों से होने वाली बीमारी से पीडि़त हो रहे हैं। बताया कि मोटा अनाज में पाए जाने वाले पोषक तत्व शरीर की आंतरिक बीमारियों से बचाव करते हैं।
उन्होंने कहा कि हाइब्रिड बीज से उत्पन्न अनाज के सेवन से हो रहे नुकसान से लोग जागरूक हो गए हैं। यही वजह है कि अब लोगों का मोटा अनाज के सेवन की ओर रुझान बढ़ रहा है। कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे कृषि वैज्ञानिक डॉ. अखिलेश चौबे ने किसानों को मोटा अनाज की खेती में कम लागत से अधिक मुनाफा कमाने के लिए प्रेरित किया।
कार्यशाला में उद्यानिकी विभाग एसएचडीओ किशन सिंह, आरएचइओ प्रियंका लोधी व मुस्कान पोरवाल, शैेलेंद्र जायसवाल, केएल वर्मा, सिंहदेव कंपनी के सीइओ सुनील कुमार सिंह, केंद्र के सतपाल सिंह के अलावा बसौड़ा, टमसार, देवसर, सरई, कुसमी, चितरंगी, गोभा व पचौर सहित कई अन्य गांवों के किसान व किसान दीदी शामिल रहीं।
प्रदर्शनी में प्रसंस्करण से तैयार उत्पादन का प्रदर्शन
कार्यशाला के आयोजन के अलावा केंद्र में प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया। प्रदर्शनी प्रसंस्करण के बाद कोदो-कुटकी, रागी, सांवा, बाजरा, ज्वार के प्रसंस्करण से तैयार उत्पाद व उसके सेवन से होने वाले लाभ को प्रस्तुत किया। इस दौरान भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग के जरिए सिंचाई के लिए पानी एकत्र करने की विधि जैसी कई अन्य तकनीकि का प्रदर्शन भी किया। मुख्य अतिथि के साथ किसानों ने भी प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
किसानों को मिलेगी मोटा अनाज की बढि़या कीमत
कार्यशाला के दौरान किसानों को बताया गया कि जल्द ही खुटार में मोटा अनाज के प्रसंस्करण के लिए इकाई शुरू की जाएगी। प्रसंस्करण इकाई लगाने का जिम्मा संभालने वाली संस्था यहां किसानों से अनाज खरीदकर उससे चावल जैसे अन्य उत्पाद तैयार करेगी। इसके बाद उसे बाहर दूसरे शहरों में भेजा जाएगा। वहां अच्छी कीमत मिलेगी। इससे किसानों को भी इसका लाभ होगा। पूर्व की तुलना में अधिक कीमत मिलेगी।