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सीकर

राजस्थान में बेरोजगारों के साथ यह कैसी लूट

भर्ती एजेन्सियों के कायदे में लूट रहा प्रदेश का युवासरकार बदले नियम तो 20 लाख अभ्यर्थियों को मिले राहतकई बार हो चुकी घोषणा, अभी तक राहत नहींबेरोजगार बोले, कॉमन परीक्षा का पैर्टन कब होगा लागू

सीकरAug 10, 2021 / 06:04 pm

Ajay

neet ug 2021

पहले आवेदन के नाम पर पर मोटी राशि, फिर संशोधन के नाम पर पैसा

सीकर.
प्रदेश में लगातार बेरोजगारों की फौज बढ़ती जा रही है। दूसरी तरफ सरकार भर्तियों की फीस, कलैण्डर, परीक्षा समय सहित अन्य मुद्दों के पेंच को पूरी तरह नहीं सुलझा पा रही है। इस कारण प्रदेश के 20 लाख से अधिक बेरोजगारों की हर सरकारी भर्ती परीक्षा में जेब ढ़ीली हो रही है। हालत यह है कि बेरोजगारों से परीक्षा में आवेदन के नाम पर 300 से 1200 रुपए तक फीस वसूले जा रहे है। सरकार की ओर से कई बार बेरोजगारों को राहत देने का दावा हो चुका है। लेकिन अभी तक कोई आदेश जारी नहीं हुए है। सरकार की ओर से पिछले दिनों कॉमन परीक्षा की भी घोषणा की गई। लेकिन यह आदेश भी अभी तक धरातल पर नहीं आ सका है। इसके लिए प्रदेश के बेरोजगारों ने अब सोशल मीडिया के जरिए सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है। बेरोजगारों का कहना है कि सरकार ने पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भी यह वादा किया था। प्रदेश में कई भर्ती परीक्षाओं में इतनी मोटी फीस ली गई जितनी सिविल सेवा परीक्षा की भी नहीं है।
संशोधन के नाम पर ऐसे हो रही जेब ढ़ीली:

केस एक: रीट में संशोधन की फीस 300 रुपए
रीट को लेकर अब तक तीन बार आवेदन अनलॉक हो चुके है। यदि सरकार चाहती तो इस दौरान आसानी से आवेदन फार्म में संशोधन का विकल्प दे सकती थी। लेकिन बेरोजगारों के आपत्ति दर्ज कराने के बाद भी संशोधन का विकल्प नहीं दिया गया। अब राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने विज्ञप्ति जारी कर आवेदन फार्म में 300 रुपए की फीस चुकाकर संशोधन का विकल्प अनलॉक किया है।
केस दो: चयन बोर्ड का स्थायी आदेश जारी
राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने आवेदन फार्म में संशोधनों के लिए स्थायी आदेश ही जारी कर दिया। इसमें बोर्ड अध्यक्ष ने बताया कि आवेदन फार्म में गलती होने पर 300 रुपए देकर संशोधन कराया जा सकता है। पहले इसकी प्रक्रिया ऑफलाइन थी। लेकिन अब इसे ऑनलाइन कर दिया है। इसको लेकर भी बेरोजगार संगठनों की ओर से लगातार विरोध किया जा रहा है।
मनमर्जी की परीक्षा शुल्क…
प्रदेश में प्रतियोगी परीक्षाओं के आवेदन शुल्क को लेकर सरकार के कोई नियम-कायदे नहीं है। यही वजह है कि हर भर्ती में परीक्षा एजेन्सियों की ओर से अलग-अलग फीस ली जाती है। पिछले दिनों बिद्युत निगम में विभिन्न पदों के लिए हुई होने वाली भर्ती में 1200 रुपए तक वसूले गए। इससे पहले कई भर्ती परीक्षाओं में 600 से 850 रुपए भी वसूले जा चुके है। ज्यादातर परीक्षाओं में आवेदन शुल्क के तौर पर 300 से 450 रुपए वसूले जाते है।
फीस हो कम, निशुल्क मिले संशोधन का मौका
कोरोना की वजह से ज्यादातर भर्ती परीक्षाएं बेपटरी हो चुकी है। ऐसे में सरकार को पहल करते हुए सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की आवेदन एक समान न्यूनतम फीस तय करनी चाहिए। इसके अलावा आवेदन फार्म में गलती होने पर संशोधन का विकल्प पूरी तरह निशुल्क करना चाहिए। इस मामले में सभी भर्ती एजेन्सियों के साथ मुख्य सचिव को भी पिछले दिनों अवगत कराया गया था।
भरत बेनीवाल, एक्सपर्ट
जितना खर्चा उससे कई गुणा वसूली
सरकार ने प्रतियोगी परीक्षाओं को कमाई का जरिया बना लिया है। परीक्षाओं के आयोजन पर जितना खर्चा होता है उससे कई गुणा ज्यादा की वसूली कर रही है। कई परीक्षा एजेन्सी तो इस तरह है कि वह साल में एक प्रतियोगी परीक्षा कराती है उससे होने वाली बचत से उस कार्यालय का पूरे सालभर का खर्चा चल जाता है। महंगाई व कोरोनाकाल के इस दौर में सरकार को फीस वसूली पर लगाम लगानी चाहिए।
बीएल रैवाड़, पूर्व सहायक कमाण्डेंट, सीआईएसएफ

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