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वजह यह गांव महिला वॉलीबॉल खिलाडिय़ों की खान होना है। यहां की बेटियों की टीम को पूरे राजस्थान में सात साल तक किसी जिले की टीम नहीं हरा पाई थी। देश को वॉलीबॉल की दो इंटरनेशनल, 35 नेशनल और 50 स्टेट खिलाड़ी चौमूं पुरोहितान की देन है। यह सब बेटियों की खेल भावना, मेहनत और राजकीय माध्यमिक विद्यालय चौमूं पुरोहितान के पीटीआई राष्ट्रपति अवार्डी रामगोपाल सामोता के प्रशिक्षण का नतीजा है।
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2009-2016 तक स्टेट लेवल पर लगातार जीत
-चौमूं पुरोहितान के राजकीय माध्यमिक विद्यालय में वर्ष 2007 तक खो-खो खेला जाता था।
-पीटीआई रामगोपाल सामोता ने स्कूल में एकेडमी बनाकर छात्राओं को वॉलीबॉल का प्रशिक्षण देना शुरू किया।
-2007 से 2009 तक ये छात्राएं कभी नंगे पैर तो कभी चप्पलों में वॉलीबॉल खेला करती थीं।
-2009 में दौसा जिले में शिक्षा विभाग ने अंडर 17 व 19 आयु की प्रतियोगिता आयोजित की।
-दौसा में वॉलीबॉल की उस स्टेट लेवल की प्रतियोगिता में चौमूं पुरोहितान की टीम ने स्वर्ण पदक जीता।
-दौसा में शानदार प्रदर्शन करने पर भामाशाहों की मदद से इन छात्राओं को जूत्ते व खेल का अन्य सामान मुहैया करवाया गया।
-सुविधाएं और प्रशिक्षण मिलने पर इन बेटियों ने भी कमाल कर दिखाया। पूरे राजस्थान में नाम रोशन किया।
-शिक्षा विभाग की ओर से आयोजित होने वाली वॉलीबॉल की प्रतियोगिताएं 2009 से 2013 तक लगातार जीती।
-इसके अलावा राजस्थान खेल परिषद की ओर से आयोजित 2009 से 2016 तक की प्रतियोगिता में भी चौमूं पुरोहितान की टीम ही विजेता रही।
-7 लगातार जीते के बाद वर्ष 2017 की प्रतियोगिता में यहां टीम द्वितीय स्थान पर रही।
-इसके अलावा वर्ष 2014 में मिनी नेशनल नागपुर और वर्ष 2015 में यूपी के रामपुर में कांस्य पद जीता।
अनिता नेहरा चौमूं पुरोहितान ने सरोज पिपलोदा के अलावा दूसरी इंटरनेशनल खिलाड़ी अनिता नेहरा दी है। अनिता नेहरा ने वर्ष 2014 में थाइलैण्ड में आयोजित प्रतियोगिता में भारत की ओर से खेलीं।
राजस्थान वॉलीबॉल टीम कप्तान रीतू बिजारणियां
गांव दुर्जनपुरा की रीतू बिजारणियां भी चौमूं पुरोहितान के रामावि की वॉलीबॉल एकेडमी की खिलाड़ी रही हैं। वर्तमान में रीतू राजस्थान वॉलीबॉल टीम की कप्तान हैं। वर्ष 2017-18 में सवाई माधोपुर में आयोजित अंडर 19 की स्टेट लेवल की प्रतियोगिता में रीतू बिजारणियां को बेस्ट प्लेयर चुना गया। पिछले साल सीकर के फतेहपुर के गांव ढांढण में राजस्थान की टीम ने रीतू बिजारणियां के नेतृत्व में वॉलीबॉल मैच खेले थे।
कैसे मिले पंखों को उड़ान
चौमूं पुरोहितान की वॉलीबॉल की खिलाडिय़ा ने बताया कि सरकार हमारी प्रतिभा को अनदेखा कर रही है। हम सभी किसान वर्ग की बेटियां हैं। पुरस्कार देने से क्या होता है। बिना आर्थिक सहयोग और सुविधा के हम आगे कैसे बढ़ पाएंगी। इंटरनेशनल खिलाडिय़ों को सिर्फ 30 हजार की स्कॉलरशिप वह भी समय पर नहीं देने के चलते ऊंट के मुंह मे जीरे के समान है। ऐसे में हमारे हौसलो के पंख कैसे मिल पाएंगे।