सीकर. इतिहास गवाह रहा है कि जब जब देश में बड़े किसान आंदोलन हुए हैं, तब तब हिंसा हुई है। आगजनी, लाठीचार्ज, फायरिंग तक की नौबत आई है। किसानों की जानें भी गई हैं। वर्ष 2017 में ही महाराष्ट्र किसान आंदोलन व मंदसौर किसान आंदोलन में ये सब हुआ था, मगर इस मामले में सीकर किसान आंदोलन मिसाल बन गया।
01 सितम्बर 2017 से 13 सितम्बर 2017 तक चले इस आंदोलन में मामूली भी हिंसा नहीं हुई। लाठियां व गोलियां चलना तो दूर किसी के खंरोच तक नहीं आई। ना पुलिस के। ना ही किसानों के। हम आपको बता रहे हैं वो छह वजह जिनके कारण राजस्थान सरकार सीकर किसान आंदोलन के सामने झुक गई और किसानों के 50 हजार रुपए तक के कर्ज माफ करने को तैयार हुई है।
1. शुरुआती चरण में किसान आंदोलन की योजना बनाई गई। गांव-ढाणियों के किसानों आसान भाषा में आंदोलन का पूरा गणित समझाया गया, जिससे उनका भरपूर समर्थन मिल सका। आंदोलन का मकसद स्पष्ट होने के बाद न केवल किसान बल्कि अन्य राजनीतिक पार्टियों से जुड़े किसान भी इस आंदोलन का हिस्सा बनते गए।
2. इसके बाद किसानों से लगातार सम्पर्क किया गया। कहीं बैठकें तो कहीं गोष्ठियों के जरिए किसानों को इस आंदोलन से जोड़ा। गांव-गांव में समिति बनाकर किसानों व युवाओं को अपने गांव की जिम्मेदारी सौंपी गई। बड़े किसान नेता सभी समितियों से फीडबैक लेते रहे।
3. समितियों के गठन के बाद सभाओं का दौर चला, जिसके जरिए किसी राजनीतिक पार्टी विशेष की बजाय आंदोलन को हर किसान का बनाया गया। सभाओं में सिर्फ किसानों के हक की बात हुई। ‘बहुत सहा है अब नहीं सहेंगे, कर्ज माफी लेकर रहेंगे’। जैसे नारों से किसानों में जोश भरा गया। अन्य राज्यों में कर्ज माफी के बारे में भी बताया गया। इसी बात ने आंदोलन को बड़ा रूप दिया। हर किसान कहता रहा कि जब अन्य राज्य के किसान कर्ज माफ करवा सकते हैं तो वे क्यों नहीं?
4. किसान नेताओं की मानें तो बड़े आंदोलन से पहले लोगों से अनाज व वाहन आदि मांगकर मन टटोला गया। तब जबदस्त समर्थन मिलने पर हौसला बढ़ा और एक सितम्बर से कृषि उपज मंडी समिति में महापड़ाव डाल दिया गया। इस तरह से शांतिपूर्ण ढंग से सीकर किसान आंदोलन का आगाज हुआ।
5. आंदोलन शुरू होने के बाद इसे अंजाम तक ले जाना बड़ी चुनौती थी, इसके लिए किसानों के अलावा व्यापारियों, आमजन व अन्य संगठनों को भी विश्वास में लिया गया। चक्का जाम में भी किसी से कोई जबदस्ती नहीं की गई। पूरे आंदोलन में किसी के खंरोच तक नहीं आने दी गई। एंबुलेंस व अन्य जरूरी सेवाओं को जाम से मुक्त रखकर लोगों की पीड़ा समझने का संदेश दिया गया।
6. आंदोलन एक सितम्बर से 13 सितम्बर तक चला। इस दौरान हर वर्ग का किसानों का भरपूर समर्थन मिला। लगातार तीन दिन तक चक्का जाम किए जाने के बावजूद किसी ने किसानों का विरोध नहीं किया। किसान भी बुलंद हौसलों के साथ डटे रहे। सीकर जिले में 361 से ज्यादा जगहों पर चक्का जाम किए रखा। नतीजा, यह रहा कि सीकर किसान आंदोलन बिना लाठी व गोली चले शांतिपूर्ण तरीके से सफल हो गया और मिसाल बन गया।
Hindi News / Sikar / VIDEO : इन 6 वजहों से सीकर किसान आंदोलन बिना लाठी-गोली चले हुआ सफल, जानिए इस आंदोलन की इनसाइड स्टोरी