दरअसल, शेखावाटी विवि को 2012 में 30 एकड़ जमीन आवंटित हुई थी। इसके बाद 2013 में विवि प्रशासन ने जमीन का कब्जा ले लिया। 11 सितंबर 2013 में निर्माण कार्य के लिए राविल कंपनी से विवि ने एमओयू हुआ। चारदीवारी निर्माण के लिए रोड कांग्रेस के नियमानुसार रोड़ से 40 मीटर जगह छोडऩी थी। लेकिन निर्माण एजेन्सी व विवि प्रशासन की लापरवाही की वजह से नियमों को अनदेखा कर महज 14 मीटर जगह छोड़ी गई। इस मामले को लेकर कई दिनों तक हंगामा हुआ। हालांकि बाद में विवि प्रशासन ने बिना किसी कमेटी के अनुमोदन के निर्माण एजेन्सी को भुगतान कर दिया।
भारत सरकार की ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा
भारत सरकार की ऑडिट के अवलोकन रिपोर्ट के अनुसार चारदीवारी के लिए 44 लाख 80 हजार रुपए, ट्यूबवैल के लिए 28 लाख 50 हजार, अतिरिक्त विकास 56 लाख 50 हजार, सड़क व रोशनी के लिए 31 लाख, गेटो के निर्माण व काऊ केचर के सात लाख 65 हजार, समतलीकरण 27 लाख 55 हजार रुपए का बजट प्रावधान रखा गया। ऑडिट रिपोर्ट कि मौके मुआयना से पता लगा। कि निर्माण के नाम पर जमीन के दो तरफ बावड्री वॉल, मिट्टी इक_ी कर मोहरम डालने व तीन ट्यूबवैल खोदने के अलावा कुछ काम नहीं हुआ।
तीन ट्यूबवैलों में भी मोटर व आवश्यक साम्रगी नहीं डाली गई, ना ही किसी ड्यूबवैल पर एक फेज का कनेक्शन हुआ है। आंतरिक विकास व रूट नेटवर्क को विकसित नहीं किया है। एक भी स्ट्रीट लाइट नहीं लगी। गेट व काऊ केचर्स मौके पर बने कही प्रतीत नहीं होते है। जमीन पर कही भी समतलीकरण नहीं हुआ है। निर्माण कार्य के आवंटन से पूर्व भवन निर्माण के लिए विवि बिल्डिंग कमेटी की अनुमति नहीं ली गई। उद्घाटन की भी स्वीकृति नहीं ली गई।
अब जल्द नई कमेटी बनेगी
वर्तमान कुलपति प्रो. बीएल शर्मा ने 22 अक्टूबर 2017 को पदग्रहण किया। इसके बाद उन्होंने निर्माण कार्य को आगे बढ़ाने के लिए 28 फरवरी 2017 को रूडसीको, जिला कलक्टर एवं पीड्ब्ल्यूडी की एक समिति बनाई गई, जो वास्तविक कार्य का मुल्यांकन कर दायित्व का निर्धारण कर काम को पूरा करवाएं। लेकिन इस संदर्भ में एक संस्था के प्रतिनिधि की नियुक्ति नही हो सकी। इस बीच कमेटी भी गठित हो गई लेकिन कई सदस्य बैठक में नहीं आए। इसके बाद अब जिला कलक्टर नरेश कुमार ठकराल ने जल्द नई कमेटी का गठन करने की बात कही है।
हुआ एक करोड़ का भुगतान
बिना विवि की बिल्डिंग कमेटी की अनुमति के काम शुरू कर राविल कंपनी को 11 अक्टूबर 2013 को चैक संख्या 262972 के द्वारा 50 लाख का अग्रिम भुगतान विवि ने किया। इस संबंध में राविल ने 42.92 लाख रुपए का उपयोगिता पत्र दिया। तत्पश्चात विवि ने चेक संख्या 262995 द्वारा 16 जनवरी 2015 को पूर्व में एडवांस चेक दिया। राविल ने कुल 86.55 लाख का उपयोगिता प्रमाण पत्र भेज दिया। लेकिन इन प्रमाण पत्रों के साथ किए गए काम की महापुस्तिका एवं विस्तृत विवरण नहीं दिया गया।